आपके अंदर हजार अच्छाई हों और सिर्फ एक बुराई लेकिन सवाल यह है कि संसार के सामने उजागर क्या हो रहा है?
हिंदुत्व ने संसार के लिये शांति, सद्भावना, करुणा व प्राणि मात्र के कल्याण की कामनाएं की हैं और वही किया भी है जबकि इसके ठीक विपरीत इ स्लाम ने संसार को हिंसा, रक्तपात, विध्वंस और गुलामी के तोहफे दिये हैं।
परंतु हर बुराई के बावजूद उनकी तरफ एक अच्छाई है और वह यह है कि उनकी मस्जिद में सुल्तान के बगल में एक भिखारी भी नमाज पढ़ सकता है और इमाम, मुल्ला, मौलाना कोई भी, किसी भी जाति का बन सकता है जबकि दूसरी ओर भारत में मंदिरों में टिकिट लेकर वीवीआइपी दर्शन और जन्मनाजातिगतश्रेष्ठता के तहत शंकराचार्य बनने के लिए जन्मना ब्राह्मण होने की शर्त हमारे धर्म की सारी अच्छाइयों पर पानी फेर देती है।
उन्हें इस समानता को शो करने के लिए किसी कुरान विशेषज्ञ की जरूरत नहीं पड़ती जबकि इधर निहायत घिनौने अप्राकृतिक जन्मनाजातिगतश्रेष्ठतावाद को पुष्ट करने के लिए स्वयं ठूँसे गये प्रक्षिप्त श्लोकों से लेकर जेनेटिक्स के सिद्धांतों की हास्यास्पद फूहड़ व्याख्याओं के कुतर्क देने पड़ते हैं।
आप चाहे जितना कोसें उन्होंने अपनी एकमात्र अच्छाई की ब्रांडिंग की है जबकि हमने अपनी एकमात्र बुराई की।
सारा अंतर यहाँ है।

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