Home लेखक और लेखसतीश चंद्र मिश्रा अब यह भी जान ही लीजिए, यह भी समझ ही लीजिए…

अब यह भी जान ही लीजिए, यह भी समझ ही लीजिए…

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अब यह भी जान ही लीजिए, यह भी समझ ही लीजिए…

खैरातियों की फौज केवल लुटियन अड्डों पर ही नहीं होती। कल योगी मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही विलाप शुरू हो गया। इस विलाप का सुर यही है कि 2 उप मुख्यमंत्री बनाकर प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री योगी के सिर पर 2 वेताल बैठा दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी के हाथ पांव कस दिए गए हैं।
किसी उत्साही लेकिन राजनीतिक अनपढ़ की ऐसी उलूलजुलूल टिप्पणियों पर मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं करता। लेकिन कल से देख रहा हूं कि नवगठित योगी मंत्रिमंडल को लेकर तथाकथित राष्ट्रवादी खेमे के एक वर्ग विशेष द्वारा एक सुनियोजित मातम चालू आहे। इस मातम के पीछे का रहस्य पिछली सरकार के 22 मंत्रियों की विदाई में छुपा हुआ है। एकदम से उन दो दर्जन मंत्रियों की विदाई ने बहुत सी दुःखी आत्माओं को भारी आघात पहुंचाया है।
सत्ता के साथ उनके सीधे संपर्क के तार अचानक कट गए हैं। अतः तिलमिलाहट स्वाभाविक है, लेकिन तिलमिलाहट के इस सच को सीधे तो कहा नहीं जा सकता। अतः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री बनाकर उन पर बैठा दिए गए 2 तथाकथित वेतालों का किस्सा गढ़ा गया। अब उस किस्से को जमकर उड़ाया जा रहा है। “कौव्वा कान ले गया” सुन कर कौव्वे के पीछे भागने वाली भीड़ उस किस्से की होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर बनी हुई है।
बस दो आसान बातें समझ लीजिए। पहली यह कि, 2 उपमुख्यमंत्री योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी थे। दूसरी बात यह कि हार के डर से खुद अपनी सीट बदलने को मजबूर हुए बृजेश पाठक उस मुख्यमंत्री के लिए खतरा बनेंगे जिसके नाम और काम की लहर पूरे उत्तरप्रदेश में बह रही है। जिसके नाम और काम पर दो तिहाई बहुमत आया है। अतः ऐसा राजनीतिक किस्सा या तो कोई महामूर्ख गढ़ सकता है, या फिर कोई प्रचंड धूर्त।
बात लंबी है, इसलिए शेष बात अगली पोस्टों में लिखूंगा।
फिलहाल आप सभी मित्र उस वेताल, अर्थात उपमुख्यमंत्री की कुर्सी की असलियत केवल 2 मिनट 50 सेकंड की इस वीडियो क्लिप को देख सुनकर समझ लीजिए। दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

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