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आदिपुरुष! यूँ ही फ़िल्म से जुड़े अपडेट

by ओम लवानिया
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आदिपुरुष! यूँ ही फ़िल्म से जुड़े अपडेट के बारे में सर्च कर रहा था। कि आखिर ओम राऊत क्या पेश करने वाले है।
तब मेरे संज्ञान में इंडो-जापानी जॉइंट वेंचर रामायण-द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम एनिमेटेड मूवी आई।
जापानी लेखक-निर्देशक यूगो साको को रामायण ने खासा प्रभावित किया। उन्होंने रामायण के सारे संस्करण पढ़ डाले और राम की जर्नी को सिनेमाई दुनिया में लाने का विचार किया। अस्सी के दशक में अपने विचार को भारतीय एनिमेटर राम मोहन के समक्ष रखा और इसे जापानी एनीमेशन फॉर्मेट में शेप देने का फैसला लिया। साको ने वाल्मीकि जी द्वारा रचित राम कथा को स्क्रीन प्ले देने का निर्णय लिया।
यूगो साको ने तत्कालीन भारत सरकार को अपने विचार से अवगत करवाया। भारत सरकार ने स्वीकृति दे दी। साको ने इसका निर्माण शुरू कर दिया। 450 एनिमेटर वाली बड़ी एनीमेशन टीम को प्रॉजेक्ट पर लगा दिया। बारीकी से कार्य शुरू किया गया। संगीत पर विशेष ध्यान दिया गया और इसका ज़िम्मा इंडियन न्यू वेव सिनेमा के पुरोधा वनराज भाटिया को सौंपा गया। ये वेस्टर्न क्लासिकल म्यूज़िक के समर्थक रहे। इसके गीत संस्कृत व हिंदी में लिखे गए। संगीत कर्णप्रिय है। कानों में पड़ते ही खो जाने को मन करता है।
साको के एपिक कंटेंट की जानकारी भारत में पड़ी। तो विश्व हिंदू परिषद ने विरोध दर्ज करवाया। कि हमारे आराध्य को कार्टून फॉर्मेट में नहीं दिखला सकते है। लेकिन जब फ़िल्म के निर्देशक संगठन न नेताओं से मिले। तो उन्होंने बतलाया कि रामायण के जो इमोशन और भाव है न! उन्हें लाइव एक्शन फॉर्मेट में नहीं दिखलाया जा सकता है। साथ ही कहा कि जापानी एनीमेशन फॉर्मेट महज कार्टून नहीं है। साको के समझाने के बाद विश्व हिंदू परिषद सहमत हो गया।
साको और राम मोहन ने राम कथा को एनीमेशन के जरिये शेप देने लगे। नब्बे के दशक में भारत का माहौल एकदम बदल गया। जब अयोध्याजी में राम जन्मस्थली से ढांचे को गिरा दिया गया। तब पीवी नरसिम्हा राव ने साको के कंटेंट पर रोक लगा दी। साको ने अपनी टीम को जापान बुला लिया। वहां फ़िल्म का निर्माण चला। माहौल को देखते हुए, तत्कालीन भारत सरकार ने इसे रिलीज करना उचित नहीं होगा। 1993 में फ़िल्म का संस्कृत वर्जन अंग्रेजी में इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में रिलीज हुआ।
शत्रुघ्न सिन्हा, अरुण गोविल, शक्ति सिंह, नम्रता और अमरीश पुरी के आवाज़ में हिंदी वर्जन रिकॉर्ड हुआ और दर्शकों के बीच पहुँचा। दर्शकों ने इसे हाथोंहाथ लिया। ख़ूब प्यार मिला। इस कंटेंट में कुछ तथ्य इधर-उधर निकले है। उन्हें छोड़ दे। तो कंटेंट वाक़ई दमदार है।
अकेडमी ऑफ मेरिट अवार्ड में नई कैटेगरी में 9 नॉमिनेशन मिले। लेकिन ऑस्कर न मिला खैर।
इस एनिमेटेड कंटेंट ने तानाजी के लेखक-निर्देशक ओम राउत को काफ़ी प्रभावित किया है। इसलिए वे इसे लाइव एक्शन फॉर्मेट में दर्शकों के बीच रखने जा रहे है। यक़ीनन कुछ रिचर्स ऐड करेंगे। मोशन कैप्चर तकनीक से राम कथा को सिल्वर स्क्रीन पर उकेरेंगे। सबसे दिलचस्प है। कि वे रामायण के इमोशन और भाव को कैसे दिखलाते है। जो दिक्कतें साको और राम मोहन के वक्त खड़ी थी। उन्हें किस तरह एड्रेस करेंगे।
निसंदेह रामानंद सागर साब ने बेहतरीन रामायण दर्शकों के बीच रखी। उसमें इमोशन भी लाजबाव रहा। लेकिन अब रामायण को बड़े स्केल और अपडेटेड सिनेमाई तकनीक में देखने की इच्छा है। विश्वास है राउत श्रीराम के अद्भुत दर्शक करवाएंगे। तानाजी से वादा जो करके निकले है। तो आदिपुरुष नेक्स्ट लेवल को टच करेगी।

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