उत्तरप्रदेश चुनाव परिणामों के संदर्भ में
आदरणीय मित्रों, शुभचिंतकों, प्रेमियों,
कल से कई मित्रों का कहना है कि उत्तरप्रदेश चुनाव परिणामों के संदर्भ में बात रखिए। मेरा कहना यह है कि मैं भारत में रहता नहीं हूं, जब भारत में रहता भी था तो भी उत्तरप्रदेश की राजनीति से लेना-देना नहीं था। मेरे कई रिश्तेदार अलग-अलग पार्टियों से विधायक रहे, लेकिन मैं उनके विधायक रहते हुए कभी किसी से एक सेकंड के लिए नहीं मिला।
मेरा कार्यक्षेत्र राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ इत्यादि राज्य रहे हैं। उत्तरप्रदेश से केवल यह नाता है कि मैं यहां पैदा हुआ था, लगभग 20 साल पहले मेरे माता पिता ने मुझे अपने घरों, संपत्तियों व दिल से बेदखल किया था, तब पैदा होने वाला नाता काफी कुछ टूट गया था, फिर जब मेरी संतान हुई और उसके साथ भी जब माता पिता ने दिल से कोई रिश्ता नहीं रखने का व्यवहार किया तो उत्तरप्रदेश से पैदा होने का जो बचाखुचा नाता महसूस होता था वह भी लगभग पूरी तरह से टूट गया।
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ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय राजधानी कैनबरा में रहता हूं, उत्तरप्रदेश छोड़िए भारत के किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक इत्यादि कैनबरा में मेरे किसी काम नहीं आ सकते हैं, रत्ती भर भी यहां किसी भी काम के नहीं। मेरा ऐसा कोई कामकाज नहीं है, मेरा ऐसा कोई व्यापार नहीं है जिसका उत्तरप्रदेश से संबंध हो।
मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मुझे व्यक्तिगत रूप से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि किस राज्य में किसकी सरकार बनती है या नहीं बनती है। कौन विधायक बनता है, कौन सांसद बनता है, कौन मंत्री बनता है, कौन मुख्यमंत्री बनता है।
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मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि मेरा कोई लेना-देना नहीं होने के बावजूद, मेरा कोई काम पड़ने का स्वार्थ नहीं होने के बावजूद, यदि कोई अपना मित्र, शुभचिंतक, जान-पहचान वाला, रिश्तेदार, बेहतर सोच रखने वाला विधायक, सांसद, मंत्री इत्यादि बनता है तो उनके लिए, उनके परिवार वालों के लिए खुशी होती है।
इस बार भी उत्तरप्रदेश के चुनावों में कुछ लोग विजयी हुए हैं, सत्तारूढ़ पार्टी व गठबंधन से हुए हैं, उनके लिए खुशी है। कुछ लोग विपक्षी दलों से थे, उनकी हार से उनके लिए दुख भी है।
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चुनाव परिणामों पर तो नहीं लिखूंगा, लेकिन संभव है कि आने वाले दिनों में विपक्ष की पार्टियों की हार पर विश्लेषण करते हुए खरी-खरी लिखूं। जरूरी नहीं कि लिखूं ही, क्योंकि चुनाव फुनाव पर बहुत अधिक लिखने का मन अब होता नहीं है, कारण सिर्फ यह है कि लोग इतना अधिक बाएस्ड होते हैं कि विश्लेषण उनको पसंद आता नहीं है।
पूर्वाग्रह की स्थिति इतनी भयानक है कि तथ्यों पर आधारित ऑब्जेक्टिव बात की ही नहीं जा सकती है। पसंद नापसंद के आधार पर ही बात को तौला जाता है। आजकल पुतिन व यूक्रेन का मुद्दा मेरे लिए सबसे अहम है क्योंकि दुनिया के लिए परमाणु युद्ध का खतरा मंडरा रहा है, बहुत ही अधिक भयावह स्थिति है। बहुत ऐसे लोग होंगे जो कभी किसी यूक्रेनियन या रसियन से मिले तक नहीं होंगे, संवाद तक नहीं हुआ होगा, इन देशों के चिंतको के साथ लंबी चर्चाएं होना तो असंभव जैसी बात है। चार पेजों के दस्तावेज का भी ढंग से अध्ययन नहीं किया होगा। लेकिन ऐसे पिल पड़ते हैं मानो पुतिन की बिटिया को इनका परिवार ब्याह कर लाया हो, इसलिए खाया पीया सब जानते हैं, कुछ तो ऐसी बकवास देते हैं मानो पुतिन के साथ रोज सुबह-सुबह साथ पाखाना जाते हों। यूट्यूब पर तो सेलिब्रिटी यूट्यूबर की बाढ़ आई हुई है, जो मन में आता है, उल्टी करते रहते हैं पान की पीक की तरह थूंकते रहते हैं।
जैसे हमें अधिकार होता है कि हम क्या खाएं क्या पहनें किस ब्रांड का मोबाइल लैपटाप कार साबुन इत्यादि इस्तेमाल करें। हमारा बच्चा घर में कैसे रहे। हम अपने घर में किसको बुलाएं न बुलाएं, किससे दोस्ती करें या न करें। ऐसा ही बहुत कुछ। वैसे ही लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है।
इसलिए चुनाव फुनाव के बारे में लिखना मेरे लिए प्राथमिकता नहीं रखता है। मेरा मानना है कि जिन लोगों का जीवन है, जो लोग अपने प्रतिनिधि व सरकार चुनते हैं, वे अपने लिए सोच समझ कर ही चुनते होंगे। सोच समझ कर नहीं भी चुनते हों तो किसी भी प्रकार से चुनते हों यह उनका अपना अधिकार है।
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मैं चुनाव की बजाय सामाजिक, सामाजिक-राजनैतिक, नीतियों, अंतर्राष्ट्रीय मामलों, शांति, कान्फ्लिक्ट रिजोलूशन, सस्टेनेबिलिटी इत्यादि मुद्दों पर लिखना बेहतर समझता हूं, विशेषज्ञता भी है, मेरे विश्लेषण सटीक होते हैं, जिन लोगों को जानकारी व समझ नहीं होती है या जिन लोगों की पूर्वाग्रह से ग्रस्त मानसिकता होती है या जिन लोगों का अपना कोई निहित एजेंडा होता है, उनको भले ही गलत लगें लेकिन समय के साथ विश्लेषण सही साबित होते आए हैं।
इसलिए जो मित्र मुझसे चुनाव पर लिखने की अपेक्षा कर रहे हैं, उनसे क्षमा चाहता हूं। हां एक आग्रह है कि यदि अब आप लोगों का चुनावी खुमार उतर गया हो, चुनाव की उत्तेजन से बाहर आ चुके हों तो यदि संभव हो तो मेरे वीडियो व पोस्टों को ठंडे दिमाग से देखने पढ़ने का काम यदि समय निकाल कर, कर पाइए तो आभारी होऊंगा, नहीं भी कर पाते हैं तो कोई बात नहीं। जैसे मुझे अपनी प्राथमिकता चुनने का अधिकार है, वैसे आपको भी अपनी प्राथमिकता चुनने का अधिकार है।
आप, आपका परिवार स्वस्थ रहे, कुशल रहे, मंगल हो। ऐसी कामना करता हूं।
सप्रेम,
विवेक उमराव
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