Home लेखक और लेखस्वामी व्यालोक उत्तर प्रदेश के मंदिरो-मस्जिदों में लाउड स्पीकरो का रियल्टी चेक। प्रारब्ध। स्वामी व्यालोक

उत्तर प्रदेश के मंदिरो-मस्जिदों में लाउड स्पीकरो का रियल्टी चेक। प्रारब्ध। स्वामी व्यालोक

by Swami Vyalok
214 views
वह जुलाई 2014 का महीना था, जब मुझे ब्रह्मज्ञान हुआ कि मैं तथाकथित मेनस्ट्रीम की पत्रकारिता के लायक नहीं हूं (तब तक लगभग एक दशक पूरे हो चुके थे, इस इंडस्ट्री में)। इसके लिए जो सलाहियत चाहिए, वह मुझमें नहीं है। हालांकि, तब मैं न्यूज 24 के डिजिटल विभाग में काम कर रहा था। याद रखना चाहिए कि तब डिजिटल अपने उरूज पर नहीं था, उसके नन्हे कदमों ने जमीनबोशी शुरू ही की थी।
सात साल बीत गए। वह भी मई-जून का महीना था। सात साल लंबा समय होता है। इतना कि इतने अनुभव के बाद लोग वरिष्ठ कहे जाने लगते हैं। पत्रकारिता में। मैं तमाम जगहों पर होकर, घाट-घाट का पानी पीकर कोरोना के बाद एक दिन स्थिर बैठा। याद रखना चाहिए कि उम्र का चौथा दशक शुरू हो रहा था। यहां गंभीरता अगर नहीं आयी, तो कभी उस जातक या जातिका में नहीं आएगी।
तब, पूरे जीवन को फिल्म की तरह देखा तो लगा कि पत्रकारिता जो भी है, जैसी भी है, कथित मेनस्ट्रीम हो या मार्जिनलाइज्ड वाली, यही मेरा कॉल है, यही मेरी जगह है। मुझे इसके अलावा कुछ नहीं आता। बल्कि, मैं इसके अलावा कुछ नहीं कर सकता।
जद्दोजहद शुरू हुई। वापसी आसान नहीं थी। पूरा युग बदल चुका था। पत्रकारिता बदल चुकी थी। लोग बदल चुके थे। फिर भी, पूरे एक महीने के बाद मैं दैनिक भास्कर में पुनर्प्रवेश कर चुका था।
आपमें से कई ये बात जानते होंगे। कई नहीं। इसलिए कि मैंने कभी भी इसे बताया नहीं। कई वजहें थीं। सबसे बड़ी तो ये कि खुद से वादा किया था कि इस बार जब तक साल पूरा नहीं होगा, अपनी खबर किसी से शेयर नहीं करूंगा।
कुछ ही दिनों में साल पूरा हो जाएगा। दो-चार दिनों की बात है। सोचा, अब तो बात सार्वजनिक हो ही जाए। बहुत वर्षों बाद मेनस्ट्रीम में कुछ करवाया है, कुछ किया है, तो वह स्टोरी भी शेयर कर रहा हूं। देखिएगा, अगर समय हो। बताइएगा, अगर इच्छा हो।
यहां तक पहुंचाने में चंद शुभचिंतकों और बेशुमार दुश्मनों का सहयोग है।
दुश्मनों को आभार। शुभचिंतकों को तो बस इतना कहना काफी है कि अब वे मुझसे बिना डरे रह सकते हैं अब उत्तर प्रदेश के मंदिरो-मस्जिदों में लाउड स्पीकरो का रियल्टी चेक की बात पर आते है

कर्नाटक में हिजाब पर उठा विवाद सड़कों पर नमाज के रास्ते मंदिरों-मस्जिदों में लाउडस्पीकर तक पहुंच गया। बरास्ता ट्विटर यह तूल पकड़ता ही गया। तभी 21 अप्रैल को एक अलहदा निर्देश आया, UP के CM योगी आदित्यनाथ का- कानून का सख्ती से पालन कीजिए।

कानून क्या है? किसी भी लाउडस्पीकर की आवाज कैंपस से बाहर नहीं जानी चाहिए। अधिकारी हड़बड़ाए। ACS होम, अवनीश अवस्थी ने आदेश जारी कर दिया, 30 अप्रैल तक तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाने वालों की रिपोर्ट दीजिए। ACS होम ने जो रिपोर्ट मांगी है उसको आने में अभी समय है, लेकिन हकीकत जानने के लिए 27 अप्रैल यानी बुधवार को दैनिक भास्कर के 24 रिपोर्टर्स UP के 12 जिलों में 60 मंदिरों और इतनी ही मस्जिदों के कैंपस के बाहर पहुंचे। तब, जब आरती और अजान हो रही थी। हमने जो देखा, जो सुना वो आपके सामने सिलसिलेवार रख रहे हैं।

  1. लखनऊः नदवा का लाउडस्पीकर तेज, हनुमान मंदिर में आरती बिना माइक

    मस्जिदः दादा मियां दरगाह के बाद भास्कर टीम नदवा पहुंची। यहां लाउडस्पीकर की आवाज काफी तेज है। लाउडस्पीकर से सड़क 60 मीटर दूर है। फिर भी आवाज सड़क पर आ रही है।

    मंदिरः शाम 6 बजे लखनऊ के सबसे बड़े हनुमानजी के मंदिर हनुमान सेतु पर जबरदस्त भीड़ है। आरती चल रही है, लेकिन 30 मीटर दूर सड़क तक आवाज नहीं आ रही है। मंदिर के पास प्रसाद की दुकान लगाने वालों ने बताया कि मंदिर प्रबंधन ने खुद ही लाउडस्पीकर हटा दिया है। अब आरती बिना माइक के होती है।

            2. वाराणसीः यहां पर सब शांति-शांति है

            मस्जिदः श्री काशी विश्वनाथ धाम मंदिर से सटी, ज्ञानवापी मस्जिद में लगे लाउडस्पीकर से आवाज आती है, लेकिन तेज नहीं।

           मंदिरः श्री काशी विश्वनाथ धाम में जब हम पहुंचे, तो वहां मुख्य अर्चक टेकनारायण से बात हुई। यहां पूजा-अर्चना के लिए कभी लाउडस्पीकर                 का सहारा नहीं लिया जाता। इसी तरह से काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव, संकटमोचन हनुमान मंदिर, दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर और                       तुलसी मानस मंदिर में आरती के लिए लाउडस्पीकर नहीं है। यही हालत सारनाथ स्थित बौद्ध मंदिरों और जैन मंदिरों में भी है।

            3. प्रयागराजः शोर हो रहा है कम

मस्जिदः चौक कोतवाली के पास स्थित सुन्नी जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने 6 में 4 स्पीकर उतार लिए हैं। दो स्पीकरों का मुंह भी मोड़ दिया गया है। अब अजान केवल मस्जिद परिसर के आस-पास ही सुनी जा सकती है। धोबीघाट की हरी मस्जिद के पास दोपहर में अजान की आवाज सामान्य दिनों से काफी कम है। बद्री आवास कॉलोनी स्थित मस्जिद में भी आवाज काफी कम कर दी गई है।

मंदिरः संगम क्षेत्र लेटे हनुमान मंदिर में आरती बिना माइक के होती है। श्री मठ बाघंबरी गद़्दी के पीठाधीश्वर और लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी बलवीर पुरी कहते हैं कि यहां काफी समय से बिना लाउडस्पीकर के पूजा आरती होती है।

अलोपी देवी मंदिर में CM के आदेश के बाद लाउडस्पीकर एकदम से बंद कर दिए गए हैं। शक्तिपीठ मां कल्याणी देवी और ललिता देवी मंदिर में भी लाउडस्पीकर हटा दिया गया है।

नगर देवता वेणी माधव मंदिर में तो कई दशकों से लाउस्पीकर का इस्तेमाल ही नहीं हो रहा है। यहां कीर्तन और भजन भी बिना माइक के होता है। यह प्राचीन मंदिर दारागंज क्षेत्र की पक्की सड़क पर घनी बस्ती के बीच स्थित है।

4. मथुरा: आपसी समझदारी और सौहार्द की जीत

मस्जिदः शाही ईदगाह पर लगे 3 लाउडस्पीकर में से 2 हटा दिए गए थे। अच्छी बात यह है कि यह काम आदेश या पुलिस के आने के पहले ही किया गया।

मंदिरः मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर लगे लाउडस्पीकर को बंद कर दिया गया है। यहां केवल सुबह के समय मंगलाचरण और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ होता था। भागवत भवन के शीर्ष पर लगे लाउडस्पीकर को श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर प्रबंधन ने मुख्यमंत्री के कहने के तुरंत बाद बंद कर दिया।

 

5. आजमगढ़: हो रहा है निर्देशों का पालन

 

मस्जिदः अलग-अलग पांच मस्जिदों पर जाने पर एक भी जगह पर आवाज कैंपस के बाहर नहीं सुनाई दी। मुस्लिम धर्मगुरु खुद अपने लोग भेजकर लाउडस्पीकर हटवा रहे हैं।

मंदिरः शहर के मशहूर गणेश मंदिर पहुंचे, तो वहां लाउडस्पीकर नहीं मिले। पुजारी राजेश मिश्र का कहना है कि लाउडस्पीकर की आवाज ऐसी होनी चाहिए, जो अच्छी लगे। आवाज कर्कश होने पर बच्चों और हार्ट के मरीजों को काफी समस्या होती है। शासन के निर्देशों का पालन करते हुए मंदिर से लाउडस्पीकर हटाए जा रहे हैं।

6. अयोध्या: कुछ जगह लाउडस्पीकर थे ही नहीं, कुछ से उतार दिया

मस्जिदः अयोध्या के टेढ़ी बाजार मस्जिद में चार लाउडस्पीकर लगे हुए थे, पर अब पुलिस ने तीन उतरवा दिए हैं। कजियाना मस्जिद में एक भी लाउडस्पीकर नहीं लगा हुआ है। बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी महबूब कहते हैं कि पुलिस के कहने पर मस्जिद से लाउडस्पीकर उतार दिया गया है।

मंदिरः राम जन्मभूमि में लाउडस्पीकर लगा ही नहीं है। हनुमानगढ़ी में चार लाउडस्पीकर कलश में लगाए गए हैं। पुजारी रमेश दास कहते हैं कि हनुमानगढ़ी के लाउडस्पीकर की आवाज सैकड़ों साल पुरानी है। ये बहुत ही धीमी आवाज में बजते हैं। कनक भवन मंदिर में लाउडस्पीकर लगा ही नहीं है। यही हाल दशरथ महल का है।

Related Articles

Leave a Comment