कबीरा कहे बुद्धि खोलो
कबीरा कहे ये जग अंधा
अंधी जैसी गाय।
बछडा था सो मर गया
झूठी चाम चटाय।।
अर्थ-एक अंधी गाय थी उसका बछड़ा मर गया। मालिक ने उसके चमड़े में भूसा भरकर बछड़े का पुतला तैयार कर दिया। गाय अंधी थी, वह बछड़े को तो देखी नहीं थी, इसलिए वह पहले की तरह उस पुतले को चाटकर दूध देने लगी।
यह संसार भी उस अंधी गाय की तरह है। वह किसी देवता या भगवान को तो देखा नहीं है फिर भी ब्राह्मण, देवता का पुतला दिखाकर सदियों से उसे दूह (शोषण कर) रहा है । देवता के नाम पर दान-दक्षिणा बंद करो। इसी अंधी गाय की तरह पुतले का प्रेम, भय, और लालच दिखाकर सदियों से बहुजन समाज का शोषण होता रहा है।
मै उस भगवान को कैसे मान लूँ,
” जो आरती की आवाज सुन लेता है,
” लेकिन बहन बेटियों की दर्द नाक चीख उसे सुनाई नहीं देती,
” यदि ईश्वर सब कुछ देखता तो,
“आज मन्दिरों में cctv कैमरे की जरूरत ही ना पडती ,
” पत्थरों की मुर्तियाँ दूध पीती हैं,
” ये कोई चमत्कार नहीं है,
” चमत्कार तो तब हो,
” जब मूर्तियाँ दुध दें और देश के करोडों भूखे बच्चे पियें,
” धार्मिक कहते हैं कि भगवान की मर्जी के बिना एक पत्ता तक नहीं हिल सकता,
” तो क्या जो मन्दिरों में रेप होते हैं भगवान के मर्जी से होते हैं,
” जब मनु के समय नारी को शिक्षा का अधिकार ही नहीं था,
” तो सरस्वती किस कालेज से phd करके शिक्षा की देवी बनी।
” मन्दिर में चोरी करने वाला चोर भगवान से नहीं डरता,
” बल्कि चोरी करते समय कोई इन्सान न देख ले इस बात से डरता है,
” कौन बडा है भगवान या इन्सान।
भारत में जाति और वर्ण का खेल, देखो और समझो
जाति बनाम वर्ण
ब्रह्मा के अनुसार चार लोग पैदा किये गए
1.ब्राह्मण:- वर्ण एक,जाति एक
2.क्षत्रिय:- वर्ण एक,जाति एक
3.वैश्य:- वर्ण एक,जाति एक
4.शूद्र:- वर्ण एक, जाति अनेक (6743) जातियों में बांटा अब विस्तार से समझना होगा की अगर ब्राह्मण से जाति पूछो कहेगा ब्राह्मण, क्षत्रिय से जाति पूछो कहेगा राजपूत, वैश्य से जाति पूछो कहेगा बनिया, लेकिन अगर शूद्र से जाति पूछो कहेगा :- पासी, जाटव, बैरवा, भंगी (मेहतर बाल्मीकि) चमार, मीणा, धोबी, कोली, सैनी-माली, नाई, बघेल, गूर्जर, काछी, जायसवाल, कुशवाहा, यादव, गायरी, कुम्हार, खाती, मेघवाल, रेगर,बलाई, बागची, डूम, ढोली, कीर, खटीक, सुनार, मल्लाह, गरासिया, भील, दरोगा, टेली, रेबारी, टेलर, कुमावत, वर्मा, लोहार, सोनार, पटेल, कुर्मी, मराठा, जाट, तेली आदि- आदि। कुल मिलाकर (6743) जातियाँ मतलब सब अलग- थलग।
अगर आप SC, ST, OBC में आते हैं तो गर्व से कहें हम शूद्र हैं। फिर देखो तमाशा !! हर जगह पर बहुसंख्यक शूद्रों का कब्जा हो जायेगा फिर आपके बच्चे खूब लाइफ एंज्वॉय करेंगे। शूद्रों को हिन्दू बनाकर मुसलमानों के खिलाफ इकठ्ठा कर ब्राह्मण राज करता है और जातियों में बांटकर एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ आपस में उलझाये रखता है। अर्थात शूद्रों की हिन्दू और जाति की पहचान ब्राह्मणों की सबसे बड़ी ताकत है तो शूद्र की शूद्र के रूप में पहचान ब्राह्मणों की सबसे बड़ी कमजोरी है इसलिए दुश्मन की कमजोरी को ही हमें हमारी ताकत बनाना होगा तो गर्व से कहो हम शूद्र (भारतीय मूलनिवासी) हैं । क्योंकि हिन्दू धर्म में वर्ण, वर्ण में शूद्र, शूद्र में जाति, जाति में क्रमिक ऊंच-नींच बनाकर भगवानों का डर दिखाया और ब्राह्मण के आगे सारे नींच !!! अब गर्व से कैसे कहें कि हम हिन्दू हैं।
“बुद्ध जी पैदल ही चलकर पूरे विश्व और यूरोप मे छा गये,
“और उडने वाले भगवान यहीं के यहीं भारत में ही रह गये।
शिक्षित बनो और शिक्षित करो।
सबेरा और उजाला तब नहीं होता जब सूर्योदय होता है, उसके लिए आंखें भी खोलनी पडती हैं।