कल गोमती नगर में सागर रत्ना रेस्टोरेंट में लंच करने गया. दोपहर का समय था, रेस्टोरेंट तीन चौथाई भरा हुआ था. तभी एक विधायक जी दो पुलिस वाले, चार पाँच गनर, तीन चार PA, पंद्रह बीस समर्थक लेकर आ गए.
रेस्टोरेंट में अफ़रा तफ़री मच गई. प्रायः शहरों के रेस्टोरेंट / होटल में विधायक सावधानी बरतते हैं, साथ ही रेस्टोरेंट आदि भी भाव नहीं देते – पाँच वर्षों में तो ऐसे विधायक होते थे कि बग़ल में आकर खा कर चले जाएँ किसी को पता न चलेगा कि ये विधायक हैं.
या तो विधायक जी रेस्टोरेंट के मालिक थे या मालिक विधायक जी के भौकाल से डरा हुआ. जो लोग खा रहे थे उन सबके ऑर्डर रोक दिए गए. जिसे डोसा मिल गया था उसे पानी न मिलेगा जिसे थाली मिल गई उसे पूरी न मिलेगी. एक बहन जी काउंटर पर खड़े होकर ऑर्डर प्लेस कर रही थीं, वेटर ने उनसे मेनू छीन लिया क्योंकि विधायक जी के समर्थक शायद शोर मचा रहे थे.
गाँव देहात में फ़िर भी विधायक से लोग डरते हैं. इधर दो तीन ग्राहक उठ कर चले गए. जाने से पहले काउंटर पर इन जनरल नेता, विधायक, उनके चमचों (शहरी जनता ऐसे मौक़ों पर समर्थकों को चमचा बोलती है, ऐसे विधायक के साथ ग्रूप में जाएँ तो ध्यान रखें आपको भी चमचा बोला जाएगा), रेस्टोरेंट, सागर रत्ना चेन को जी भर कर गालियाँ दीं, सोनिया प्रियंका तक याद कर डालीं.
मुझे भी क्रोध बहुत आया. फ़िर ध्यान आया कि अभी सपा के 111 विधायक है, तब यह हाल है, सरकार होती तो क्या होता. सपा सरकार में अच्छे से याद है कि विधायकों के क़ाफ़िले में फँस जाने पर अपहरण तक हो जाता था. कई विधायक के समर्थक गाड़ी में हाकी तक रखते थे और चलते चलते ही अग़ल बग़ल की कार पर ठोंक देते थे.
वैसे यह गारंटी के साथ नहीं कह सकता कि विधायक जी कौन से दल के थे, पर आचरण उनके पूर्ण सपाई थे. और निश्चय ही नए थे, अन्यथा पाँच वर्षों में विधायकों का आचरण पूरा सुधार दिया गया है.
नए नए बने विधायक भी इस बात का विशेष ध्यान रखें. इस केस में गलती रेस्टोरेंट की थी, ईमानदारी से कहूँ तो विधायक जी ने कोई अभद्र व्यवहार न किया, पर सम हाऊ उनके क़ाफ़िले के आते ही रेस्टोरेंट स्टाफ़ पागल हो गया, पर अंततः आम जनता जो इतना मायनूट्ली नहीं देखती गाली विधायक जी ही खा रहे थे. योगी सरकार है, ऐसी खबरें वाइरल होती हैं तो डंडा विधायक पर ही चलता है.