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काम बोलता है , कि पाप बोलता है ?

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काम बोलता है , कि पाप बोलता है ?
समय और न्याय का पहिया कभी रुकता नहीं है । खनन माफ़िया , गैंग रेप का सहभागी और अखिलेश यादव सरकार के भ्रष्टतम मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने एक समय आई पी एस अफ़सर अमिताभ ठाकुर को फर्जी बलात्कार में फंसाने की पुरज़ोर कोशिश की । अमिताभ ठाकुर के ख़िलाफ़ एक प्रायोजित महिला से बलात्कार की रिपोर्ट लिखवाई । एफ आई आर के बाद अमिताभ लखनऊ के गोमती नगर थाने पहुंचे और कहा कि उन के मामले में जांच कर दूध का दूध , पानी का पानी किया जाए । पुलिस ने आंख चुरा लिया । आज तक आंख चुराए हुई है । अमिताभ ठाकुर का दोष यह था कि उन की पत्नी नूतन ठाकुर ने लोक आयुक्त के यहां गायत्री प्रजापति के ख़िलाफ़ शिकायत कर दी थी कि वह बतौर मंत्री अवैध खनन करवा रहे हैं ।
इस बाबत मुलायम सिंह यादव ने भी अमिताभ ठाकुर को फ़ोन कर धमकाया । अमिताभ ने मुलायम की धमकी को फ़ोन पर रिकार्ड कर लिया और मुलायम के ख़िलाफ़ कोर्ट के मार्फ़त रिपोर्ट भी लिखवाई । लेकिन उलटे अखिलेश यादव सरकार ने अमिताभ ठाकुर को निलंबित कर दिया । लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ कर अमिताभ ठाकुर बहाल हुए । अब देखिए समय का चक्र । अब वही गायत्री प्रजापति सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लिखित एफ़ आई आर में गैंग रेप के मुख्य आरोपी हैं । उत्तर प्रदेश पुलिस गायत्री प्रजापति को बहुत प्यार से खोज रही है पर उन्हें पा नहीं रही । क्या तो वह अपने सरकारी सुरक्षा कर्मियों सहित फ़रार हैं ।
सब के फ़ोन बंद हैं , आदि-आदि । अखिलेश यादव का बड़प्पन देखिए कि सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद उन की पुलिस गायत्री प्रजापति के ख़िलाफ़ एफ़ आई आर लिखती है , पहले नहीं । एफ़ आई आर के बाद भी पुलिस उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने नहीं जाती । जाते हैं तो ख़ुद अखिलेश , अमेठी गायत्री प्रजापति का चुनाव प्रचार करने । एक कैबिनेट मंत्री फ़रार है और अखिलेश यादव न उस बलात्कारी को गिरफ्तार करवा पा रहे हैं , न उन्हें अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर पा रहे हैं । कितने विवश और बेशर्म हैं अखिलेश यादव , समझ में आ जाता है । आज़म खान की भैस तो उत्तर प्रदेश पुलिस चटपट खोज लेती हैं लेकिन गैंग रेप के बलात्कारी को नहीं । दिलचस्प यह कि सारे सेक्यूलर फ़ोर्स और उन के दुकानदार भी ख़ामोश हैं । स्त्री चेतना और स्त्री अस्मिता की मारी तमाम सो काल्ड स्त्री प्रवक्ताओं में भी जुंबिश नहीं हो रही । डिंपल यादव आप भी ध्यान दीजिए । लेकिन मायावती जी आप को क्या हो गया ? आप क्यों चुप हैं ?

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