कुछ लोग श्री राहुल जी के वक्तव्य – “देश ने मुझे हिंसा के साथ मारा -पीटा” का अर्थ समझ नहीं पा रहे।
इसे समझने के लिए आपको इतिहास में जाना होगा।
आपको पता ही है श्री राहुल गांधी के पूर्वज कांग्रेस के पुरोधा हैं और कांग्रेस अहिंसा की। कांग्रेस की अहिंसा वो वाली अहिंसा है जिसमें मालाबार, भारत विभाजन, कश्मीर से हिंदुओं का निष्कासन… जैसी असंख्य घटनाएं हैं। इन सभी घटनाओं में थोक नहीं, बंपर थोक भाव से हिंदुओं का नरसंहार हुआ। उनकी स्त्रियों से दुष्कर्म हुए। उनकी संपत्तियां छीनी गईं।
गौर करिए, इतिहास में कहीं दर्ज है क्या कि यह जो हुआ, हिंसा है। गांधी जी दुनिया भर में अहिंसा के सबसे बड़े चैंपियन हैं। प्रार्थना सभा की किताब में मालाबार नरसंहार पर उनका प्रवचन पढ़ लें तो अंग्रेजी कहावत डेविल्स एडवोकेट आपको बहुत छोटी लगने लगेगी।
नरसंहार की इसी कला को अहिंसा से मारना-पीटना कहते हैं।
कश्मीर में लाखों हिंदुओं का नरसंहार और उनकी संपत्तियां छीन कर दर दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर कर देना प्यार की कार्रवाई है। परम् प्रेम का जीवंत प्रतीक है। लेकिन उस पर फ़िल्म बना देना नफरत की कार्रवाई है।
इसके मर्म को समझिए।
खून के छींटे उन पर नहीं पड़ते जो खून पी जाते हैं, उन पर पड़ते हैं जो मारे जा रहे व्यक्ति का बचाव करने जाते हैं।
इस कला को ही कांग्रेसी अहिंसा कहते हैं।