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क्या यही आपकी स्मार्टनेस है?

by अमित सिंघल
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क्या यही आपकी स्मार्टनेस है?

समय समय पर ऐसी पोस्ट सामने आती रहती है जिसमे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लिखा जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने समृद्धि और विकास पर पूरा ध्यान दिया, लेकिन शत्रु-बोध और सुरक्षा को भूल गए।
जब पूछता हूँ कि सरकार क्या कर सकती है, तो उत्तर में वही लिखा जाता है जो सरकार पहले से ही कर रही है।
– प्रभावी राज्यपाल नियुक्त करे। उत्तर: क्या जगदीप धनकर एवं आरिफ मोहम्मद खान कम प्रभावी है?
– राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, बाल विकास आयोग के माध्यम से राज्य सरकारों के गलत कामों में बाधाएं खड़ी करें। उत्तर: यह आलरेडी हो रहा है। यहाँ तक कि सम्बंधित हाई कोर्ट में कई केस चल रहे है। सीबीआई एवं प्रवर्तन निदेशालय ऐसे कई पॉलिटिशियन एवं सम्बंधियों पर शिकंजा कस रही है। दिल्ली दंगो में लगभग 450 के विरूद्ध चार्जशीट दायर हो चुकी है। उम्र खालिद दो वर्ष से जेल में है। Criminal Procedure कानून संशोधित किया जा रहा है जिससे अब अधिकतर मामलो में सजा हो सकेगी; सर्वोच्च न्यायलय ने Foreign Contribution Amendment Act को स्वीकृति दे दी है जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा NGO को विदेशी फंडिंग नियंत्रित करने पर मोहर लगा दी है। और यह सब हुआ है पिछले एक सप्ताह में। लेकिन यह जानने के लिए संसद में अमित शाह के चार संबोधन सुनना होगा।
– राज्यों को आवंटित किए जाने वाले केंद्रीय फंड को जारी करने में अनावश्यक विलंब करें, अड़ंगे लगाएं, जांच बिठाएं, और ऐसे सभी मार्गों से सतत दबाव बनाए रखें। उत्तर: राज्यों को आवंटित किए जाने वाले केंद्रीय फंड को जारी करने में अनावश्यक विलंब नहीं किया जा सकता। मोदी जी ने फ़ेडरल व्यवस्था को बदल दिया है, ना तो आप GST रोक सकते है; ना ही वित्त आयोग समर्थित अन्य फंडिंग का बटवारा। हाँ, केंद्रीय योजनाओ की फंडिंग को रोका जा सकता है और ऐसे किया भी गया है। याद करिए कि पश्चिम बंगाल में कृषि निधि योजना का फंड नहीं भेजा जा रहा था।
– आए दिन भाजपा या आनुषांगिक संगठनों के कार्यकर्ता की हत्याएं होती रहती हैं, तब मौन बैठे रहने की बजाय ऐसे हर घर में सांत्वना देने और उस अर्थी को कंधा देने भाजपा के किसी बड़े नेता या मंत्री को अवश्य पहुंचना चाहिए। उत्तर: भाजपा या आनुषांगिक संगठनों के कार्यकर्ता की हत्याएं के बाद घर में सांत्वना देने और उस अर्थी को कंधा देने भाजपा के के राज्य अध्यक्ष, अन्य प्रभारी, स्थानीय MP एवं MLA जाते है (क्या आप सुवेन्दु अधिकारी को ट्विटर पर फॉलो करते है)। उन राज्यों में अपनी यात्रा के दौरान स्वयं नड्डा जी एवं अमित शाह भी ऐसे लोगो के परिवारों में मिलते है।
– केन्द्र सरकार को अपने तरीकों से सुप्रीम कोर्ट के जजों और उनके परिवारजनों की गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए और उनकी कमजोरियों का राष्ट्रहित में लाभ उठाना चाहिए। उत्तर: अधिक लिखना उचित नहीं होगा। लेकिन पिछले तीन वर्षो के निर्णय सामने रख सकते है कि उन निर्णयों में क्या लिखा था। आप कदाचित एकाध फर्जी एक्टिविस्ट की विदेश यात्रा को लेकर भड़क सकते है; लेकिन क्या उन एक्टिविस्ट पर केस निरस्त हो गया है?
कुछ लोग सीधे हिंसा का समर्थन करते है। लेकिन तब चुप्पी साध जाते है जब मैं पूछता हूँ कि उन कदमो को उठाने के बाद क्या होगा? यमन, उक्रैन, सीरिया, लीबिया, श्री लंका इत्यादि में भी ऐसे ही कदम उठाये गए है? क्या परिणाम निकला? क्या होगा जब कोर्ट निर्णय लेगा? क्या होगा जब पेट्रोल 150 रुपये पहुँच जाएगा? क्या होगा जब मंहगाई की दर 50% पार कर जायेगी? क्या होगा जब भारत की विदेशी मुद्रा जब्त कर ली जायेगी? तब उत्तर नहीं है।
ध्यान रखिए देश तोड़क शक्तियां चाहती है कि सरकार हिंसा का सहारा ले। कारण यह है कि सरकारी हिंसा के बाद वह हिंसा कैसे समाप्त होगी, यह अराजक शक्तियां तय करेगी। उनमे से कुछ लोग वही है जिन्हे जनता ने भारी, बहुत भारी, बहुमत से सत्ता दी है।
अराजकता एवं अशांति के समय पूँजी निवेश, उद्यम एवं व्यापार में रिस्क अत्यधिक बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप पूँजी का “दाम” बढ़ जाता है; इंश्योरेंस कॉस्ट बढ़ जाती है; लोन मिलना दुरूह हो जाएगा; रातो-रात मंहगाई बढ़ जाती है; लोग उद्यम नहीं लगाना चाहेंगे। जान-माल की अपूर्णनीय हानि होगी; यात्रा असुरक्षित हो जाती है। महिलाओ के अधिकारों का पाश्विक हनन होगा; सरकार अस्थिर हो जाती है; देश की सीमाओं पे असुरक्षा बढ़ जायेगी।
आप पेट्रोल, नींबू, प्याज के दामों पर भड़क जाते है; क्या आप 50% से अधिक मंहगाई दर को झेल पाएंगे?
चीन ने राष्ट्रीय समरसता के लिए एक्शन तब लिया जब उनकी अर्थव्यवस्था 9 ट्रिलियन डॉलर हो गयी थी।
और आप चाहते है कि भारत बिना किसी तैयारी के अभी एक्शन ले ले जिससे उत्पन्न आंतरिक हिंसा से राष्ट्र का विकास रुक जाएगा।
यही उन लोगो के लीडर भी चाहते है जो गलत नाम से, पहचान छुपा कर, ईमान के नाम पर पता नहीं क्या-क्या कर लेते है।
ऐसी पोस्ट के द्वारा अपने नेतृत्व को ही कमजोर करते है क्योकि भड़के हुए समर्थक या तो वोट डालने नहीं निकलेंगे; या फिर नोटा दबा आएंगे।
क्या यही आपकी स्मार्टनेस है?

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