Home राजनीति #नारायणास्त्र_300+
महाभारत में एक दिव्यास्त्र का उल्लेख है जिसका कोड उच्चारित करने पर वह लॉन्च हो जाता था और सामने जितना प्रतिरोध किया जाता वह उतना ही उग्र होकर उसका विध्वंस कर देता था।
#नारायणास्त्र_300+
हिंदुत्व की रक्षा तभी हो सकती है जब वह नारायणास्त्र का रूप धारण कर ले कि विरोध करने पर वह और अधिक प्रज्वलित हो उठे परंतु हम चूक गए क्योंकि इसे लॉन्च करने का कोड मंत्र था-
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मेरे इस आंकड़े पर इतना जोर देने के पीछे गहन मनोवैज्ञानिक सामाजिक कारण हैं।
अगर 300+ आ जाते तो स्पष्ट घोषित हो जाता कि अब मु स्लिम तुष्टिकरण के दिन गये।
अगर 300+ आ जाते तो सपा समाप्त हो जाती और यादव जैसी संगठित लड़ाकू जाति भाजपा में अपना स्थान ग्रहण कर लेती।
अगर 300+ आती तो सभी जातियों को यह संदेश जाता कि कोई जाति विशेष महत्वपूर्ण नहीं है और ऐसी स्थिति में हिंदुओं में जातियों का समावेशीकरण होने लगता।
अगर 300+ आतीं तो मु स्लिमों को समझ आ जाता कि हिंदू एकता अब अभेद्य है और तब उनका मनोबल ध्वस्त होता जिससे हमें आगत गृहयुद्ध को जीतना आसान हो जाता।
अगर 300+ आ जातीं तो हरियाणा व राजस्थान पर भी प्रभाव पड़ता जहाँ यूनियनिस्टों ने पृथकतावाद की चरस बो रखी है।
ये 300+ सिर्फ एक आंकड़ा नहीं बल्कि अवश्यम्भावी संघर्ष में हिंदुओं की शीघ्र विजय का नारायणास्त्र होता।
तमाम घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्रों के बाद भी योगी-मोदी की जोड़ी के जादू ने विजय प्राप्त कर ही ली जिसका अतीव हर्ष है लेकिन संगीत सोम जैसे योद्धा की हार ने, कैराना सहित कई हिंदू बहुल क्षेत्रों में मु स्लिम प्रत्याशियों की विजय और पूर्वांचल से अपेक्षानुरूप परिणाम न मिलने से हर सच्चा हिंदुत्ववादी कहीं न कहीं निराश है।
मेरी उम्मीद इस चुनाव से उभरे बस वे 10% लोग हैं जिनके लिए हिंदुत्व के सम्मुख प्रांत, क्षेत्र, भाषा व जाति कोई मायने नहीं रखती और वे सिर्फ और सिर्फ हिंदुत्व को समर्पित हैं।
बस वही भविष्य में हिंदुओं के #नारायणास्त्र हैं।

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