Home विषयजाति धर्म परशुराम वास्तव में साधारण जनता के नायक हैं
वैवस्वत मन्वंतर के प्रथम “राम” जिन्होंने संसार को यह शिक्षा दी कि आचार्य का कार्य सिर्फ शिक्षा देना ही नहीं है बल्कि यदि पुराने नियमों व्यवस्थाओं को आधार बनाकर अत्याचार किये जा रहें हों तो छात्र शक्ति को इतना सशक्त करो कि शोषणकारी व्यवस्थाओं को नष्ट किया जा सके……
परशुराम वास्तव में साधारण जनता के नायक हैं, वो जनता के बीच रहकर जहां उन्हें युद्ध कला(दक्षिण में) सिखाते हैं तो वहीं नए नए ग्रामों का निर्माण करके मनुष्यों के रहने लायक स्थानों का भी निर्माण करते हैं।
परशुराम ग्राम देवता भी हैं…
परशुराम जहां अगस्त्य ऋषि की पत्नी के साथ मिलकर प्रथम नारी सम्मेलन करवाते हैं तो वहीं कोंकण के धीवरों को ब्राह्मण और क्षत्रिय धर्म में दीक्षित करके कर्तव्य पथ का पाठ पढ़ाते हैं।
आचार्य परशुराम संसार को यह शिक्षा देते हैं कि यदि मनुष्य अपनी आत्मशक्ति आत्मबल पर विश्वास रखे तो वह रचना संहार पालन तीनों की ही सहायता से संस्कृति को और पुष्ट कर सकता है।
अक्षय तृतीया के दिन जन्म लिए इस महापुरुष को अधिकतर लोग सिर्फ युद्ध करने के कारण भगवान मानते हैं जो कि मात्र उत्साह से पैदा हुई एक भ्रांति है जबकि परशुराम भगवान इसलिए हैं क्योंकि वो जनता के बीच विचरते हैं, उनके साथ रहते हैं, जनता का आत्म बल बढ़ाते हैं और फिर तपस्या भी करते हैं।
यह आम जनता का दुर्भाग्य है कि उन्हें भगवान परशुराम का सिर्फ क्रोध रूप ही दिखाया गया , उनके मूल कार्यों को ना जाने किस कारण से जनता के बीच से छिपा लिया गया जिसका भुगतान आज तक हिन्दू जनता कर रही है….
जननायक भगवान परशुराम के जन्म दिन की सभी हिंदुओं को ढेर सारी शुभकामनाएं और आशा है कि उनके जैसी आत्मशक्ति , आत्मबल, जनकल्याण शक्ति का स्वयं के अंदर संचार करने के लिए हर हिन्दू स्वयं को सदैव प्रेरित करता रहेगा….
🚩🚩🚩हर हर महादेव

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