उम्र में कुछ छोटे, पर बुद्धि में बहुत बड़े भाई की यह पोस्ट…
(उनकी पोस्ट पब्लिक नहीं होती इसलिये उनकी निजता का सम्मान करते हुए उनका नाम नहीं दे रहा).
2010 की बात हैं जयपूर मे site चल रही थी तब मैं शराब पीता था ( शराब पीना बहुत ही बुरी बात है आत्मा और शरीर दोनों का नाश करती है ) जयपुर में ठेके 8 बजे बन्द हो जाते हैं और मैं जिस होटल में ठहरता था उसमें बार नहीं थी , तो मैं समय से निकल कर ले लेता था और होटल में रूक जाता था !!
उस दिन 8 बज गये मैं site से नहीं निकला
तो मैनें सोचा ऐसे किसी होटल में चलता हूँ जहां बार हो …
मैं गया कमरा था ,
Reception पर बोला कमरा है परन्तु आपको सारा पैसा advance देना होगा ..
मैनें 2000 ( ५०० के चार नोट ) रूपये दिये और उसे समझाया भी भाई ऐसे नहीं बात करते मैं हूँ कहीं जा थोड़ी ना रहा हूँ !!
वो कुछ बोला नहीं और मैनें कोई रसीद नहीं ली , मेरे साथ एक मेरे सहकर्मी भी थे रात को अपना मगन होकर सो गये .. सुबह उठा तो मैनें अपने सहकर्मी से बोला .. यार रात को पैसे दिये 2000 रसीद नहीं ली , कोई बात तो नहीं होगी ?
वो बोला सर क्यों होगी दो हज़ार दिये हैं !
चैक out करने गये तो दूसरा आदमी था , कहता 1000 रूपये आपके बाक़ी है …..
मैनें कहा मैनेँ 2000 रूपये दिये थे … वो बोला देखा सर आपकी रसीद कटी है ..
मैंने कुछ नहीं बोला 1000 रूपये और दिये ..
उसने सब बिल काट लिया मुझे दें दिया …
मैं फिर बोला भाई मुझे तेरे boss से बात करनी है .. वो बोला क्यों ?
मैनें कहा मैंने 2000 रूपये दिये थे , वो बोला की फिर आपने 1000 रूपये क्यों दिये ?
मैनें कहा क्योकी 1000 रूपये नहीं दिये यह बहस ना हो ? ना यह मुद्दा बने ..
मुद्दा यह बने की अतिथि ने 2000 दिये 1000 कहां गये ?
ख़ैर मुद्दा यही बना 5 की नौकरी गई मुझे 2 वर्ष का 10 night उनके खर्च पर मिला( जो मैनें नहीं लिया ) …
अब आप सोचिये मैनें 1000 रूपये नहीं दिये होते तो मुद्दा क्या बनता ?
वैसे ही इस्लाम का मुद्दा क़ुरान में कहा होना चाहिये अब्दुल कलाम कैसे थे ? यह नहीं
हिजाब है की नहीं .. यह नहीं
राम इमामे हिन्द है की नही ?यह बात नहीं मौहम्मद के कारनामों पर बात होनी चाहिये !
दिशा यह कितने वर्ष की है …यह नहीं होना चाहिये उसने जो किया वो क्या है ?
क़ुरान हमारे बारे में हमारी बेटी के बारे में क्या कहती है उस पर बहस हो !
सत्य की विजय होती नहीं है … करनी पड़ती है.
आदि शंकराचार्य से पूछा की शस्त्र क्या है
वे बोले युक्ति …
यहाँ सभ्यता ने चरस पी कर बुद्धि बैल बना रखी है..युक्ति कहाँ से आयेगी ?