Home हमारे लेखकदयानंद पांडेय ममता बनर्जी की चोट के बहाने इंदिरा गांधी की नाक पर चोट की याद आ गई

ममता बनर्जी की चोट के बहाने इंदिरा गांधी की नाक पर चोट की याद आ गई

दयानंद पांडेय

253 views
शिव पूजा , चंडी पाठ , नामांकन और पैर में चोट। एक ही दिन में ममता बनर्जी के साथ यह सब घट गया। रात हो गई है। हेलीकाप्टर उड़ नहीं सकता। नंदीग्राम से कोलकाता की सड़क बेहद ख़राब है। क़ायदे का अस्पताल भी नहीं है नंदीग्राम में। एयरपोर्ट है नहीं। विकास की जगह मुसलमान-मुसलमान करने वाली ममता बनर्जी के सामने उन का दस साल का कुशासन है। ग्रीन कारीडोर बना कर कोलकाता ले जाया जा रहा है। भगवान करें ममता बनर्जी जल्दी स्वस्थ हो जाएं।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इसे ममता बनर्जी का नाटक बताया है सहानुभूति पाने के लिए। और कहा है कि ममता को तुरंत सी बी आई जांच करवा लेनी चाहिए। ममता बनर्जी का कहना है कि साज़िशन उन के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई है। हालां कि मेरा मानना है कि ममता बनर्जी को सर्वदा गुस्से में नहीं रहना चाहिए। पैर में चोट गुस्से में भी आ सकती है। ममता असल में चुनाव आयोग से भी मुसलसल नाराज़ हैं। कई चरण में चुनाव करवाने से वह नाराज थीं हीं , अभी एक दिन पहले उन के चहेते पुलिस अफ़सर को डी जी पी पद से चुनाव आयोग ने हटा दिया। ममता का गुस्सा अपनी पुलिस पर भी गुस्सा हैं। बता रही हैं कि उस समय एस पी भी नहीं था। तो क्या उन की ही कार उन के ऊपर चढ़ गई ? जैसा कि वह कह रही हैं।
पैर पर कार चढ़ने के बाद कोई बात करने लायक़ तो नहीं ही होता। न कुछ याद करने लायक़। मैं भीषण दुर्घटना से गुज़र चुका हूं। सो भुक्तभोगी हूं। 23 बरस बीत जाने के बाद भी आज तक मुझे अपनी दुर्घटना की याद नहीं है। जो लोगों ने बताया , टुकड़ों-टुकड़ों में वही जानता हूं। हां , अपना दुःख कभी नहीं भूला। ट्रक से एक्सीडेंट हुआ था। हमारी अंबेसडर पर ट्रक चढ़ गया था , सामने से। ड्राइवर और हमारे एक मित्र एट स्पॉट गुज़र गए थे। तमाम इलाज के बाद कैसे और कितना दुःख भोग कर अभी उपस्थित हूं , मैं ही जानता हूं। संयोग से तब मैं भी चुनाव कवरेज की ही यात्रा में था। लखनऊ से संभल जा रहा था। 18 फ़रवरी , 1998 की बात है। सीतापुर के पहले ख़ैराबाद में हमारी अंबेसडर और ट्रक की आमने-सामने की टक्कर थी।
जो भी हो ,इस बहाने इंदिरा गांधी की याद आ गई है। एक बार उन के ऊपर भी चुनावी यात्रा में पत्थर चलाया गया था। उन की नाक पर चोट लगी थी। बाद में पता चला वह सब प्रायोजित था। कमलेश्वर ने इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित उपन्यास काली आंधी में इस पत्थर प्रसंग का बहुत दिलचस्प वर्णन किया है। बाद में गुलज़ार ने काली आंधी की कथा पर आधारित एक फ़िल्म बनाई आंधी नाम से। फ़िल्म खूब चर्चा में आई। पर तभी इमरजेंसी लग गई। संजय गांधी की नज़र में यह आंधी फ़िल्म चढ़ गई। देश भर के सिनेमाघरों से आंधी फ़िल्म रातोरात उतार दी गई। संजय गांधी इतना कुपित हुए इस फ़िल्म से कि फ़िल्म के सारे प्रिंट भी जलवा दिए। वह तो ग़नीमत थी कि कहीं कोई एक प्रिंट किसी तरह बच गया था। सो इमरजेंसी के बाद उसी एक प्रिंट से फिर कई प्रिंट बनाए गए और फ़िल्म फिर से रिलीज हुई।
अलग बात है कि इस आंधी फ़िल्म के चलते साल भर पुराना उन का दांपत्य भी टूट गया। हुआ यह कि आंधी फ़िल्म जब बनने की बात हुई तो गुलज़ार की पत्नी राखी ने नायिका की भूमिका करने की इच्छा गुलज़ार से बताई। लेकिन गुलज़ार ने राखी की इच्छा का सम्मान नहीं किया। पति पर उन का निर्देशक भारी पड़ गया। गुलज़ार ने आंधी की नायिका बंगला फ़िल्मों की मशहूर अभिनेत्री सुचित्रा सेन को चुना। सुचित्रा सेन ने इस भूमिका में प्राण फूंक दिया। निश्चित है कि आंधी में जो अभिनय सुचित्रा सेन ने किया है , राखी के वश का वह नहीं था। राखी भी हालां कि बहुत अच्छी अभिनेत्री हैं। लेकिन सभी भूमिका , सभी के लिए नहीं होती। राखी उस समय गर्भवती थीं। मेघना उन के पेट में थीं। लेकिन वह गुलज़ार से चुपचाप अलग हो गईं।
ममता बनर्जी को इस पैर में चोट की सहानुभूति मिलती है इस चुनाव में कि नहीं , देखना दिलचस्प होगा। उस से भी ज़्यादा दिलचस्प यह देखना होगा कि मुस्लिम वोट बैंक की ठेकेदार ममता बनर्जी को हिंदू बनने का भी कितना लाभ मिलता है। क्यों कि बीते चुनावों में राहुल गांधी को मंदिर-मंदिर जाने का कोई लाभ नहीं मिला। यहां तक राहुल , ब्राह्मण बन कर अपना गोत्र दत्तात्रेय बताने लगे। लोगों ने उन का मजाक बनाया पर वोट नहीं दिया। ममता बनर्जी तो ब्राह्मण हैं ही , राहुल गांधी की तरह पारसी नहीं। पर जय श्री राम सुनते ही भड़कने वाली ममता बनर्जी को हिंदू होने की परीक्षा पास करना निश्चित ही कठिन लगा होगा सो आज पैर में चोट लगना स्वाभाविक था। जाने यह चोट स्वाभाविक है या ग़लत चंडी पाठ करने का कुपरिणाम। कौन जाने। पर सवाल तो है। पर इधर से सही या उधर से सही , खेला तो हो गया है। ममता बनर्जी इधर लगातार खेला होगा , का उद्घोष कर रही थीं। जो भी हो चुनाव आयोग ने इस बाबत रिपोर्ट तलब कर ली है।

Related Articles

Leave a Comment