Home विषयजाति धर्म मुस्लिम समाज की विडम्बना। प्रारब्ध। फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी

मुस्लिम समाज की विडम्बना। प्रारब्ध। फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी

by Faiyaz Ahmad
239 views

इस देश में एक अजीब विडम्बना है कि यहां हिन्दू सांप्रदायिकता पर तो ओवर डिस्कशन होता है लेकिन मुस्लिम साम्प्रदायिकता पर सांप सूंघ जाता है, जबकि सच्चाई यह है कि हिन्दू सांप्रदायिकता, मुस्लिम साम्प्रदायिकता के प्रतिक्रिया में उत्पन्न हुई है ,

 

याद रखें सेपरेट इलेक्ट्रोट (पृथक निर्वाचन), कम्युनल अवॉर्ड, खिलाफत आंदोलन और मुस्लिम लीग पहले वजूद में आए हिन्दू महासभा/आरएसएस उसके बाद में।

 

नोट:- भारत में जिसे भी हीरो बनना होता है वो हिन्दू समाज की बुराई करना शुरू कर देता, हिन्दू सांप्रदायिकता पर विलाप शुरू कर देता है और तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवी और मीडिया भी उनको सर पर चढ़ा लेता है, लेकिन इन्ही लोगो को मुस्लिम समाज की कुरीतियां नही दिखाई देती और मुस्लिम साम्प्रदायिकता पर तो बिल्कुल खामोशी की चादर ओढ़ लेते हैं।

 

और अगर मुस्लिम समाज से कोई ऐसा है जो मुस्लिम समाज की कुरीतियों और मुस्लिम साम्प्रदायिकता पर आवाज उठाता है तो ये लोग उसे इग्नोर करने लगते हैं ऐसा लगता है कि ये लोग भी यही चाहते हैं कि मुस्लिम समाज मध्य युगीन मानसिकता में जीता रहें और एक परिधि में रहें

Related Articles

Leave a Comment