Home राजनीति मु स्लिमों के होने से हिंदुओं का अस्तित्व रक्षा खतरे में | प्रारब्ध

मु स्लिमों के होने से हिंदुओं का अस्तित्व रक्षा खतरे में | प्रारब्ध

लेखक - देवेन्द्र सिकरवार

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मु स्लिमों के इस देश में होने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि चिंतनशील हिंदुओं के पास अस्तित्व रक्षा के अलावा सोचने के लिए मस्तिष्क का कोई कोना खाली ही नहीं बचा।
एक ओर कटते जंगल, सूखती नदियां, कंक्रीट के बढ़ते जंगल, निरंतर कम होते संसाधन, फैलता प्लास्टिक तो दूसरी ओर सुरसा की तरह निरंतर मुँह फैलाता उपभोक्तावाद।
एक ओर ग़जवा ए हिंद की तैयारी में दस बारह बच्चे, रोहिंज्ञाओं को बसाकर जनसंख्यात्मक नियंत्रण बनाने की तैयारी तो दूसरी ओर जातिवाद और व्यक्तिवाद के कुचक्र में फंसा हुआ नब्बे प्रतिशत हिंदू।
चारों ओर से हिंदुत्व की ओर विनाश उमड़ता आता प्रतीत हो रहा है।
भाजपा व मोदीजी काम तो खूब कर रहे लेकिन हमारे जागने और उनके काम करने की गति इतनी धीमी है कि जितना सुधार होता है वह कुछ ही दिनों में मटियामेट हो जाता है।
ऐसे में पर्यावरण जैसे मुद्दे पर लिखने का फायदा ही क्या जब हमें पता है कि पि ल्लों की तरह बढ़ती इनकी संख्या को एक दिन सब निगल ही जाना है।
जो लोग जनसंख्या नियंत्रण कानून की बात कर रहे हैं उन्हें जीवविज्ञान के नियमों का कुछ अता पता नहीं है कि यह उनकी जनसंख्या वृद्धि को रोकेगा नहीं जनसंख्या की वृद्धिदर को दोगुना कर देगा और इस हकीकत को जानने वाले इसीलिये इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलते।
इस समस्या से निबटने के दो ही रास्ते हैं।
1)सरकार एक्टिव यूजेनिक्स प्रोग्राम या कहूँ संजय गांधी फार्मूला लागू करे।
2)गृह युद्ध
ये दोंनों जितने देर से होंगे उसी समानुपात से हिंदुओं का नुकसान होगा और सबसे ज्यादा संख्या में मारे जाएंगे वे मिडिल क्लास हिंदू जो अक्सर कहते पाये जाते हैं
“You know I used to like Modi ji but now it has become extreme. Always Hindu-Muslim …. boring and disappointing ….I don’t like this…. Bla…. bla…. bla..”
अब ऐसी हालत में कोई कैसे रचनात्मक लिखे?

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