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मैं नक्सल बन गया था

by ओम लवानिया
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विवेक अग्निहोत्री! इनके एक हिंट ‘मैं नक्सल बन गया था।’ मेरा अनुमान है कि ‘बुद्धा इन ए ट्रैफिक जैम’ कंटेंट विवेक के नक्सल शेड्स से निकलकर आया था। वैसे भी हमारे देश में अधिकतर शैक्षिणक संस्थानों में वामपंथी विचारधारा खड़ी है। हालांकि माहौल बदल रहा है। लेकिन अभी भी है। तभी विवेक ने अच्छे से प्रमोट किया है। उनके ट्रिक्स उनके खिलाफ चले है। बोले तो हेलीकॉप्टर शार्ट। ख़ैर।

 

द कश्मीर फाइल्स देखने के साथ साथ विवेक का द लल्लनटॉप के साथ इंटरव्यू को फ़िल्म की मेकिंग के तौर पर अवश्य देखें। इसमें विवेक ने हर पहलू पर बात की है। खुलकर बात रखी है। कश्मीर के इतिहास पर बोला है।

 

पहले प्रोपगैंडाजीवियों ने फ़िल्म की रिलीज को रोकने व बैन करने की पुरज़ोर कोशिश की थी। बैन से याद आया। कि विवेक बताते है उनकी फाइल्स यूएई, कतर और सिंगापुर में बैन कर दी गई है।
हां तो प्रोपगैंडाजीवी गैंग फ़िल्म की रिलीज रोकने में नाकाम साबित हुई। तो इसे प्रोपेगैंडा बतलाने के लिए कुछ आंकड़े लेकर निकले। इसका भी अच्छे से प्रतिउत्तर किया है।
इस इंटरव्यू में स्टीवन स्पीलबर्ग की द शिंडलर्स लिस्ट का जिक्र हुआ है। दरअसल, विवेक सेंसर बोर्ड के सदस्य भी है। हमारे सेंसरशिप के पुराने कानून पर भी बातें करते है। हालांकि इसमें कुछ परिवर्त्तन किए गए है। भारतीय वर्जन फाइल्स में जो कट्स है वे अंतराष्ट्रीय वर्जन में नहीं है। वे ओरिजनल स्वरूप में गया है।
जब स्टीवन की लिस्ट नज़दीकी सिनेमाघरों में जाने वाली थी। ओवरसीज में रिलीज की तैयारी थी। तब फिलीपींस की सेंसर मुखिया ने लिस्ट को कुछ कट्स सजेस्ट किए। इन कट्स पर निर्देशक स्टीवन ने कड़ा और साफ ऐतराज जताया और अपनी फिल्म को फिलीपींस से हटाने का फैसला ले लिया। क्योंकि उनका मत था। कि जो सच्चाई है न! वह मूल स्वरूप में आए। इन कट्स के साथ दर्शक कैसे कनेक्ट करेंगे। फीलिंग न आएगी। इस पूरे विवाद में फिलीपींस के राष्ट्रपति को दखल देना पड़ा और लिस्ट ओरिजिनल वर्जन के साथ निकली।
शायद इसी से विवेक को अहसास हुआ। कि अगले कंटेंट को ओटीटी अच्छा शेप दे पाएंगे। फाइल्स के निर्देशक अब यही रुकने वाले नहीं है, आगे जितने भी रॉइट्स हुए है। उन्हें दर्शकों के बीच लेकर आएंगे। 1984 की झलक भी दिखने वाली है।
इस इंटरव्यू को छोड़े न….देखें।

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