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यादें_90_के_बॉलीवुड_की

by Nitin Tripathi
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किसी भी समय में फ़िल्में और गाने उस समय के माहौल को पर्फ़ेक्ट्ली डिफ़ाइन करते हैं.
नब्बे का समय था. उस दौर में लखनऊ में नाका हिंडोला में इलेक्ट्रॉनिक मार्केट होती थी. चारबाग़ स्टेशन से गाँव ट्रेन पकड़ने नाका होते हुवे जाते. मार्केट में फ़ुल वॉल्यूम में म्यूज़िक बजा करता था और नए गानों के कैसेट डिस्प्ले पर होते. उस दिन यादों के मौसम के गाने बज रहे थे. पहली बार में ही स्ट्राइक हो गई. वह दौर ही ऐसा था, 14-15 की एज, सब रोमांटिक लगता था. आधा घंटे खड़े होकर गाने सुने. गाँव पहुँचे तो कज़िन को बताया, कि यादों के मौसम के गाने क्या शानदार हैं. उसने बताया, आशिक़ी के गाने सुनो सब भूल जाओगे. कैसेट देखी विशेष मज़ा न आई. गायक म्यूज़िशन हीरो हीरोईन सब नए. महेश भट्ट की फ़िल्म थी, पूजा भट्ट क्रश थी, महेश उसके बाप थे, कैसेट पर जो फ़ोटो बनी थी उसमें हीरोईन का चेहरा कोट से ढका था. इस लिए पूरा कैसेट सुन डाला. गाने कोई ख़ास न लगे. ढोलक मंजीरा वाला म्यूज़िक था.
अगले दिन खेत पर गए. एक लेबर फसल काट रहा था. एक हाथ में हँसिया दूसरे हाथ में बाली थी. उसे ये न पता था कोई आस पास है. वह अकस्मात् खड़ा हुआ, हँसिया एक ओर बाली दूसरी ओर चिल्ला चिल्ला कर गाने लगा दिल का आलम मैं क्या बताऊँ तुझे.
अगले दिन वापस लखनऊ आया. विक्रम टेम्पो में बैठ घर जा रहा था. दो लोग बातें कर रहे थे, एक गायक था आर्केस्ट्रा में, दूसरे सरदार जी शायद आर्केस्ट्रा मालिक. गायक ने उन्हें कोई गाना गा कर सुनाया, सरदार जी को पसंद न आया. सरदार जी बताने लगे देखो ऐसे गाते हैं. बेसुरी आवाज़ में गाने लगे जाने जिगर जाने मन तुझको है मेरी क़सम. और गाना गाते गाते रोने लगे 🙂
उसी दिन समझ आ गया ये फ़िल्म और इसके गाने रेकर्ड तोड़ेंगे. जब समाज के हर तबके के लोग ऐसा कनेक्ट हो जाएँ तो फ़िल्म पक्का हिट होगी. और वाक़ई ऐसा ही हुआ, आशिक़ी के टक्कर के commercial सूपर हिट गाने आज तक न हुवे.
नोट: कमेंट में महेश भट्ट के साथ गाली फक्कड़ अलाउड है, पूजा भट्ट को कोई कुछ न बोलेगा. कमीनी जिहादन निकल गई, पर है अपनी ही जिहादन.

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