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#युद्ध_व_तेल
गाँधीजी ने एक बार भारतीय वर्णव्यवस्था के शब्दों में अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा था कि अमेरिका का समाज एक व्यापारी व भौतिकतावादी समाज है एवं उसे सिर्फ और सिर्फ अपने मुनाफे से मतलब है।
वर्तमान का यूक्रेन-रूस युद्ध की पटकथा भी अमेरिका ने अपने फायदे के लिए लिखी हुई है।
मूल लाभ है हथियार उद्योग जो अमेरिका की गले की नस है और जिसमें डॉलर रूपी खून नाटो जैसी नर्स चढ़ाती है।
बहरहाल इसमें तेल का एंगल भी जुड़ गया है।
लेकिन ऐसा अचानक क्या हो गया जो अमेरिका तेल व्यापार के खेल में शामिल हो गया है।
मूल कारण है तकनीक।
अमेरिका के टेक्सास सहित अन्य कई राज्यों में कच्चे तेल के भंडार हैं जिन्हें अमेरिका भविष्य के दृष्टिकोण से सुरक्षित रखता आया है लेकिन नित नये प्रकार के ऊर्जा स्रोतों व ऊर्जा तकनीक जैसे लिथियम बैटरी, हाइड्रोजन फ्यूल आदि के कारण तय है कि विश्व में ‘पैट्रो युग’ समाप्ति की ओर बढ़ रहा है।
मेरा अनुमान है कि स्वयं अमेरिका ने भी नई तकनीकें खोज रखी हैं जिनमें पैट्रोल बेस्ड ईंधन की आवश्यकताएं समाप्ति की ओर हैं।
तो इस संचित पैट्रोल भंडार का क्या हो जो भविष्य में यूजलैस हो जाने वाला है?
जाहिर है वही जो एक कुशल व्यापारी करता है जब उसे मंडी में ढेर सारी फसल आने का अंदेशा हो।
वह जल्द से जल्द अपने माल की निकासी करता है।
अमेरिका भी अपने पैट्रोल व गैस को जल्दी निकालना चाहता है।
प्रमाण के तौर पर जांच लीजिये कि कैसे 2015 के बाद अपनी पूर्वनीति को त्यागकर अमेरिका निरंतर तेल व गैस उत्पादन व निर्यात बढाता जा रहा है।
लेकिन अब अमेरिका इसे और कैसे बढ़ाये जबकि मंडी में क्रेता-विक्रेता पहले ही सैट हैं।
चीन, भारत व एशिया के अधिकांश देश पश्चिम एशिया पर निर्भर हैं,
दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला के ग्राहक हैं,
यूरोप रूस से सप्लाई लेता है।
-वेनेजुएला स्वयं अपनी मूर्खता में निबट चुका,
-ईरान को उसने सऊदियों से मिलकर निबटा दिया,
अब बचा रूस!
लेकिन एक प्रॉब्लम हो गई!
अमेरिका को मिला बिडेन और रूस को मिला पुतिन
इसके अलावा यूरोपीय देश भी उसके खेल को समझ चुके हैं।
पुतिन से मुलाकात के बाद मैक्रो की पेशानियों पर पड़े बल और जर्मनी का रूस से गैस आयात बंद करने से इनकार इस ओर साफ इशारा कर रहा है।
इधर यहूदी लॉबी में भी अंतर्विरोध गहरा चुके हैं। इजरायल की यहूदी लॉबी अमेरिकी यहूदी लॉबी के अनुसार चलने को तैयार नहीं भले ही झेलेंस्की यहूदी ही क्यों न हो।
अब अमेरिका फाइटर प्लेन पोलैंड भेज रहा है और कैसे भी करके युद्ध को लंबा खींचना चाहता है लेकिन झेलेंस्की तक अमेरिकी खेल को समझ गया है।
आने वाले दिनों में झेलेंस्की के अमेरिकी शरण में निर्वासित सरकार या झेलेंस्की की हत्या की खबर आये तो आश्चर्य मत कीजियेगा।
अब खेल दिलचस्प हो गया है लेकिन फिलहाल…
फिलहाल अमेरिका के लिए आसमान पूरा फट गया है और बिडेन के लिए रफू करना मुश्किल हो रहा है।

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