Home विषयइतिहास रामायण – कहानी दासी मंथरा की भाग 2

भगवान विष्णु से बदला लेने के लिए लिया पुनर्जन्म

इंद्र के वज्र के प्रहार से भक्त पहलाद के पुत्र विरोचन की पुत्री मंथरा की मृत्यु तो हो गयी, किंतु मंथरा ने भगवान विष्णु से बदला लेने की ठान ली क्योंकि वह सोचती रही कि उसका जो हाल है

कि उसके अपनों ने भी उसे त्याग दिया इसके लिए उत्तरदाई केवल भगवान विष्णु ही है, और वह भगवान विष्णु से बदला लेने के बारे में सोचती रही बदले की भावना से उसने रामायण काल में

मंथरा का जन्म लिया था, और भगवान राम के जीवन को तहस-नहस कर दिया लोमश ऋषि के द्वारा बताया जाता है कि जो कुबड़ी मंथरा थी वह श्री कृष्ण के काल में कुब्जा के नाम से ही जानी जाती थी।

मंथरा के पति कौन थे

वाल्मीकि रामायण में वर्णन किया गया है, कि मंथरा वास्तव में एक गंधर्व कन्या थी किंतु इस बात की पुष्टि नहीं थी कि वह कहाँ से आई है और उसके पति कौन थे? अन्य धर्म ग्रंथों के अनुसार बताया जाता है

कि गंधर्वी ने मंथरा के रूप में केकैयी देश में जन्म लिया इनके पिता का नाम वृहदृथ जो केकय देश के सम्राट अश्वपति के भाई थे, किंतु रामायण काल में भी अपने कुबड़े रूप के कारण मंथरा अविवाहित ही रही।

गंधर्वी का अवतार थी मंथरा

पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया गया है कि, जब पृथ्वी लोक पर अनाचार, अधर्म, अनीति का सम्राट फैला हुआ था तथा चारों तरफ राक्षसों के घोर अत्याचार के कारण ऋषि-मुनियों तथा

आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया था। उस समय सभी देवी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उन्होंने इसे स्थिति के बारे में ब्रह्मा जी को अवगत कराया तब ब्रह्मा जी ने कहा कि तुम सभी देवी देवता

जाकर पृथ्वी पर वानर भालू आदि का रूप धारण करो और भगवान विष्णु श्री राम रूप में जन्म लेंगे। इसलिए जाकर राक्षसों के संघार में आप सभी उनकी सहायता करो ऐसा सुनकर देवताओं

ने गंधर्वी से प्रार्थना की कि तुम धरती लोक पर जाकर मंथरा के रूप में जन्म लो और भगवान श्री राम को 14 वर्ष वनवास अपनी भूमिका अदा करो जिससे

राक्षसों का संघार हो सके इस प्रकार मंथरा एक गंधर्व कन्या थी तथा जिस की मुख्य भूमिका श्री राम को वनवास देना तथा राक्षसों का संहार करवाना था।

Related Articles

Leave a Comment