मैं अपनी अगली पीढ़ी को कभी नहीं बताउंगी कि राम कृष्ण परशुराम ये सभी जन्म से ईश्वर थे…
बल्कि हमेशा यह बताउंगी कि वो सभी जन्म से एक साधारण मनुष्य थे , वो सभी अपने पूर्वजों के संस्कारों ,गुरुओं की दी गयी शिक्षा और मानव कल्याण करने के कारण स्वयं पर दृढ़ निश्चय रखने कारण मनुष्यत्व से ईश्वरत्व तक की यात्रा किये थे…….
मैं अपनी अगली पीढ़ी को प्रेरित करूंगी कि यदि तुम स्वयं पर विश्वास रखते हो तो एक दिन परमब्रम्ह तुम्हारी जिह्वा से गीता बोल उठेगा..!
चक्र परशु कोदंड सारंग के नवीन रूप की रचना तुम या तो स्वयं कर लोगे या फिर तुम्हारे जैसे की प्रतीक्षा कर रहा कोई स्वयं तुम्हें सौंप देगा..
मैं अपनी अगली पीढ़ी को क़भी नहीं बताउंगी कि चमत्कार करने वाला कोई ईश्वर भी होता है ,
मैं हमेशा उसे इस बात के लिए प्रेरित करूंगी कि तुम इस समस्त जगत को जानते हो समझते हो बस स्वयं में झांको और खुद को देखो कि तुम कभी जिस वृक्ष के आम का फल हुआ करते थे वह वृक्ष भी किसी आम के फल से ही जन्मा है और आज स्वयं कई आम के फलों का जन्मदाता है।
मैं उसे हमेशा बताउंगी कि ईश्वर चमत्कार नहीं करता है।
मैं उसे इस बात से हमेशा दूर रखूंगी कि वो मन्दिर में भगवान से धन ,सुख जैसी कोई भी चीजें कभी मांगे बल्कि जब भी वह मन्दिर जाए तो आदर भाव से उन सभी कार्यों को सिद्ध करने के विषय में सोचे जो मन्दिर के अंदर के बैठे देवता ने धर्म के लिये किया है…
वो सिर्फ प्रणाम करके वरदान माँगकर, मान्यता माँगकर मन्दिर के देवता का अपमान न करे इस बात का हमेशा ध्यान रखूंगी.!
मैं कोशिश करूंगी मेरी हर पीढ़ी ईश्वत्व के लिए उन्नत हो अर्थात रचना, विनाश पालन की ओर सदैव अग्रसर रहे।