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स्वरोचिश सोमवंशी भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी की फेसबुक-प्रोफाइल से उठाई गई रचना साधिकार साभार

by Umrao Vivek Samajik Yayavar
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स्वरोचिश सोमवंशी भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी की फेसबुक-प्रोफाइल से उठाई गई रचना साधिकार साभार

स्वरोचिश सोमवंशी (Swarochish Somavanshi) भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं, संवेदनशील जिलाधिकारी के रूप में लोकप्रिय रहे हैं। सोशल मीडिया पर *तोता_घोंघा_संवाद* के रूप में लिखते रहते हैं। नाचीज के फेसबुक-मित्र हैं, यह रचना साधिकार साभार इनकी व्यक्तिगत फेसबुक-प्रोफाइल से उठाई गई है।

*ग़लत को कहने के लिए ग़लत
फ़क़त होना ज़रूरी है ग़लत*
तोता रटंत ——— भाई मुझे पाकिस्तानियों से घृणा है। आज इसी बात पर एक सज्जन से उलझ गया मैं। लिबरल लोग बहुत मूर्ख भी होते हैं यार। खैर उस दिन चाय में नींबू कम थे, आज फिर से बनवाई है- पीकर बताइए कैसी है!
घोंघा बसंत ——— आपकी बात समझ गया। अच्छा आप को मैं उदाहरण भर के लिए थोड़ी देर हिंदू मान लेता हूँ और जाति से क्षत्रिय बना देता हूँ ताकि बातचीत में सरलता रहे। अब आप यह बताइए कि आपको पाकिस्तानियों से घृणा है कि नहीं? शुरू से शुरू करते हैं।
——— है भाई। मैं पाकिस्तान को शत्रु राष्ट्र मानता हूँ और सारे पाकिस्तानियों से घृणा करता हूँ।
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——— ओके। मैंने “सारे” शब्द को नोट कर लिया है। अब यह बताइए की पाकिस्तानी हिंदुओं के बारे में आपकी क्या राय है? उनसे भी घृणा करते होंगे आप?
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——— हिंदुओं से घृणा क्यों करना भाई। वो तो सनातन धर्म को मानते हैं। बँटवारे के बाद वे पाकिस्तानी हो गए इसमें उनका क्या क़सूर। उनसे घृणा नहीं है।
——— कोई पाकिस्तानी हिंदू अगर पाकिस्तानी सेना अथवा ISI के लिए काम करता हो तब?
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——— ऐसे तो नहीं सोचा। अजीब सवाल है।
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——— अच्छा छोड़िए इसको। मगर आपको पाकिस्तानी हिंदू अच्छे लगते हैं, तो उनकी बात थोड़ा और करते हैं। आपको पाकिस्तानी हिंदू अधिक प्रिय होंगे या हिंदुस्तानी हिंदू?
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——— सिंपल है। अपने देश के हिंदू।
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——— ओके। इन पाकिस्तानी हिंदुओं में कुछ क्षत्रिय होंगे। आपको पाकिस्तानी क्षत्रिय अधिक करीबी लगेंगे की भारतीय ब्राह्मण या वैश्य या शूद्र?
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——— ये कैसा सवाल है?
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——— सवाल वैसा ही है जैसा है। अगर आपको जाति के आधार पर लोग प्रिय या अप्रिय नहीं लगते हैं तो पाकिस्तानी हिंदू- धर्म के आधार पर कैसे अच्छे लगते हैं फिर?
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——— हम्म
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——— अच्छा एक और। आपको कश्मीरी पंडितों से सहानुभूति है की नहीं?
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——— है। उनके साथ क्या ग़लत नहीं हुआ। दुनिया भर में ऐसा नीच और नृशंस कांड किसी के साथ नहीं हुआ होगा भाई।
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——— ओके। तो आपको कश्मीरी पंडित अधिक अच्छे लगते हैं या यूपी के सगोत्रीय क्षत्रिय?
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——— ये कैसा सवाल है?
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——— अच्छा छोड़िए। ये बताइए की कश्मीरी पंडितों के साथ बुरा हुआ की कश्मीरी हिंदुओं के साथ बुरा हुआ?
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——— हिंदुओं के साथ जिनमें पंडित बहुतायत में थे।
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——— मतलब कश्मीरी हिंदुओं के प्रति भी आपकी संवेदना है मगर चूँकि उनकी संख्या कम है अतः आप बोलने की सरलता में “पंडित” शब्द प्रयोग कर लेते हैं?
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——— हाँ, ऐसा ही कुछ।
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——— तब तो आपको प्रताड़ित कश्मीरी सिखों से भी सहानुभूति होगी?
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——— बिल्कुल है।
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——— तब इसी आधार पर आपको पाकिस्तान में प्रताड़ित हिंदू जो वहाँ अल्पसंख्यक हैं- उनसे भी सहानुभूति होगी!
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——— बिल्कुल है। हमारे सनातन का हिस्सा हैं वो।
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——— पाकिस्तान में अहमदिया करके एक समुदाय है जो अल्पसंख्यक है और वहाँ का बहुसंख्य समुदाय उन्हें मुस्लिम भी नहीं मानता। उन पर हिंसा और प्रताड़ना की घटनाओं के दुःखद समाचार आते रहते हैं। क्या आपकी सहानुभूति अहमदिया लोगों के साथ भी हैं, ये तो आपके सनातन का हिस्सा नहीं हैं।
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——— बिल्कुल है भाई। ग़लत किसी के भी साथ हो, ग़लत तो ग़लत ही है। कहा जाएगा। मैं अहमदियों के साथ सहानुभूति रखता हूँ।
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——— चीन में भी उईगर मुस्लिमों के साथ यही सब हुआ है मगर पाकिस्तान ने न केवल इस पर कभी मुँह नहीं खोला बल्कि चीन के साथ मिलकर कश्मीर में हस्तक्षेप केवल कश्मीरी मुसलमानों के हक़ की आड़ में करता है जबकि असल मंशा कुछ गंदी है। तो आप उईगर मुस्लिमों के साथ खड़े रहेंगे।
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——— बिल्कुल भाई। सेम लाजिक।
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——— भाई साहब, अगर ग़लत को ग़लत कहने के लिए केवल उसका ग़लत होना काफ़ी है तो आप कश्मीरी पंडितों के मामले में पलायन की घटना को केवल ग़लत होने के आधार पर ग़लत क्यों नहीं कहते? वही अहमदियों और चीनी मुस्लिमों के साथ क्यों नहीं करते? आपको पाकिस्तान के हिंदू केवल इस कारण से क्यों अच्छे लगते हैं क्योंकि आपका और उनका धर्म समान है? मेरी आपत्ति अच्छे लगने पर नहीं है, अच्छे लगने के कारण पर है। आपको कश्मीरी पंडितों के दर्द से सहानुभूति है- मैं इस उदात्त भावना का क़ायल हूँ, बहुत सम्मान भी करता हूँ मगर बस इतना जोड़ना चाहता हूँ की आप कश्मीरी सिखों को भी उतना ही मानते हैं, आपके मन में उनकी वेदना को लेकर भी वैसी ही सहानुभूति है जैसी पाकिस्तानी अहमदिया मुसलमानों को लेकर है। आपकी भावना आपने जितना सोचा है उससे अधिक निर्मल और पवित्र है। इसमें सबके लिए जगह है फिर धर्म पंथ और जाति के नाम पर वरीयता क्या निर्धारित करना? जो ग़लत है सो ग़लत है। किसी के भी साथ हुआ हो, किसी ने भी अंजाम दिया हो।
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——— ये बात भी सही है
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——— यही बात सही है मेरे हिसाब से तो और आपने भी जिस तरह के जवाब दिए हैं- मुझे भरोसा हो गया है आपके लिए भी सही हैं।
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——— तो अब मैं नॉर्मल हो जाऊँ?
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——— मतलब?
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तोता रटंत ——— मतलब आपने क्षत्रिय और हिंदू बना दिया था न? अब तोता रटंत बन जाऊँ फिर से? 😏
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घोंघा ——— आप भी ग़ज़ब धोते हैं कभी कभी तोता जी। आज नींबू की चाय अच्छी बनी थी। 😁

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