Home हमारे लेखकआशीष कुमार अंशु हिन्दू—मुस्लिम एकता की बात करने वाले….

हिन्दू—मुस्लिम एकता की बात करने वाले….

by Ashish Kumar Anshu
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आपने कभी गौर किया है, हिन्दू—मुस्लिम एकता की बात करने वाले, हिन्दूओं को बांटने में कोई कोर—कसर नहीं छोड़ते। अब यह हिन्दू—मुस्लिम एकता वाला पूरा गिरोह उत्तर प्रदेश में जाट—मुसलमान एकता की बात कर रहा है। यह गिरोह बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुसलमान—यादव की एकता की बात करता है। लेकिन यही गिरोह हिन्दूओं के आपसी सदभाव का घोर विरोधी है। इसकी पूरी कोशिश रहती है कि कोई ऐसा मौका ना चुका जाए जहां, हिन्दूओं को आपस में लड़ाने का कोई अवसर नजर आता हो। वह चाहे जाति जनगणना की बात हो, या पिछड़ी जातियों और अनुसूचित जातियों के बीच मतभेद पैदा करने की बात हो, वह चाहे सिख, जैन और वनवासी समाज के लोगों के प्रबुद्ध लोगों के बीच में हिन्दू समाज के लिए नफरत फैलाने की बात हो।
ऐसे लोगों को आम तौर ‘खास तरह’ के एनजीओ फंड करते हैं, ऐसे एनजीओ जिन्हें एफसीआरए प्राप्त है। जो चर्च और मदरसों के इशारे पर उनका एजेन्डा चलाने को तैयार रहते हैं।  मुसलमानों का एजेन्डा लंबे समय तक वॉलीवुड में इसीलिए चला क्योंकि दो नंबर का पैसा फिल्मों में लग रहा था और यह पैसा मुसलमानों के पास से ही आ रहा था। यह वो मुसलमान थे, जिन्होंने अल्लाह तक को धोखा दिया तो ऐसे मुसलमान मादरेवतन को क्या छोड़ेंगे?
अब अंडरवल्र्ड खत्म और उसकी जगह एफसीआरए ने ली है। मोदी सरकार में उस पर भी लगाम लगी। धीरे—धीरे हवाला के पैसों के लिए नई—नई तरकीबे निकाली जा रही हैं। जिसका उद्देश्य जाट—मुसलमान एकता की बात करना और दलित से राजपूत, यादव से भूमिहार को और ब्राम्हणों से सिखों को लड़ाना है।
सनातन परंपरा के पंथों को इन चालाकियों को समझना होगा। एक दूसरे के बीच नफरत बढ़ाने की जो कोशिशें तेज हो रहीं हैं। इसका मुकाबला करना है। याद रखिए, जिस परिवार में आपस में सदभाव नहीं होता। वह पड़ोसी गांव के साथ सदभाव के व्यवहार की बात करने का हकदार नहीं है।

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