Home राजनीति अखिलेश को नश्तर की तरह चुभी होगी मायावती की सूची

अखिलेश को नश्तर की तरह चुभी होगी मायावती की सूची

सतीश चंद्र मिश्रा

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53 बसपा प्रत्याशियों की पहली सूची आधिकारिक रूप से घोषित कर दी गयी है। यह तय मानिए कि उस सूची को देखने, उसका अर्थ समझने के पश्चात इस कड़ाके की ठंड में भी अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी के थिंक टैंक (अगर है) को पसीना आ गया होगा। अब इसका कारण भी समझिए।
“वो, मुझे क्या मुख्यमंत्री बनाएगा, बीएसपी में आने के बाद उसकी किस्मत खुली। वो पहले कई दलों में रहा पर कभी चुनाव नहीं जीता। बसपा में आने के बाद उसकी किस्मत खुली। वो पहली बार एमएलए बना। भाजपा वाले उसे 5 साल तक ढोते रहे….” 15 जनवरी को इन शब्दों के साथ बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने चिरपरिचित अंदाज में स्वामीप्रसाद मौर्य की राजनीतिक हैसियत का सच बेबाकी से उजागर किया। मायावती का कल का वह बयान कोई अतिश्योक्ति नहीं। स्वामीप्रसाद के भाजपा से भागने के पश्चात से अपनी पोस्टों और यूट्यूब चर्चा में यही सच तथ्यों के साथ पिछले एक सप्ताह के दौरान मैंने लिखा भी है और बोला भी है। अतः अब यह तो स्पष्ट हो चुका है कि स्वामीप्रसाद को समाजवादी पार्टी में शामिल कर के अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी को ना तो कोई लाभ पहुंचाया है।
ना ही भाजपा को कोई राजनीतिक आघात पहुंचाया है। लेकिन बसपा द्वारा घोषित की गयी अपने प्रत्याशियों की पहली सूची अखिलेश यादव को नश्तर की तरह चुभी जरूर होगी। इस बसपाई नश्तर की चुभन अब अखिलेश यादव का पीछा भी नहीं छोड़ेगी। यह लगभग तय है कि बसपा के शेष प्रत्याशियों के नामों वाली अन्य सूचियों का नश्तर भी इतना ही तीखा और पीड़ादायी होगा। पूरे चुनाव के दौरान इस नश्तर की तीखी चुभन अखिलेश को बहुत बुरी तरह परेशान करती रहेगी।
हालांकि सभी लुटियन न्यूजचैनलों द्वारा सपा को 33-34 प्रतिशत तथा बसपा को 12-13 प्रतिशत मत मिलने के अपने सर्वे का, अपने अनुमानों का ढोल 2-3 महीनों से पीटा जा रहा है। बीती 24 दिसंबर को लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में न्यूजचैनल आजतक को दिए गए एक साक्षात्कार में सपा के तीसरे नंबर पर पहुंच जाने की संभावना जतायी थी। उनकी उस टिप्पणी पर सम्भवतः 26 दिसंबर को यूट्यूब चैनल Alternate Media द्वारा मेरी प्रतिक्रिया रिकॉर्ड की गयी थी लेकिन अपलोड नहीं की गयी थी। इसका कारण मैंने पूछा भी नहीं था। कब क्या पोस्ट करना है, यह उनके न्यूजसेंस का विशेषाधिकार है।
लेकिन कल बसपा की पहली सूची आने के बाद उस वीडियो को Alternate Media यूट्यूब चैनल पर अपलोड कर उसका लिंक मुझे भेजा गया। मेरा अनुरोध है कि 20 मिनट के उस वीडियो को आप अवश्य देखें। पहली बसपाई सूची में 26% प्रत्याशी उसी वोटबैंक के हैं जिस पर समाजवादी पार्टी अपना शत प्रतिशत अधिकार मानती है। उसकी इस गलतफहमी तथा सपा को बसपा से तीन गुना ज्यादा वोट मिलने के ढपोरशंखी दावे कर रहे सर्वे वालों और न्यूजचैनलों के सफेद झूठ की धज्जियां 10 मार्च कों क्यों उड़ेंगी.? इस चुनाव में बसपा की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण क्यों सिद्ध होने वाली है.?
इन सवालों के तथ्यात्मक, तार्किक जवाब के साथ ही मेरे आंकलन से आपको स्पष्ट हो जाएगा कि बसपा की पहली सूची सामने आने के बाद उत्तरप्रदेश के चुनाव परिणाम की दिशा क्या हो गयी है।
बसपा प्रत्याशियों की पहली सूची अखिलेश यादव को नश्तर की तरह क्यों चुभी होगी।

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