Home विषयचिकित्सा जगत अमेरिका में बच्चे का जन्म : नार्मल डिलेवरी और ओमीक्रोम कोरोना लहर

अमेरिका में बच्चे का जन्म : नार्मल डिलेवरी और ओमीक्रोम कोरोना लहर

by Nitin Tripathi
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अमेरिका जैसे अति विकसित देशों में, जहां की मेडिकल सुविधाएँ तो सबसे शानदार हैं, वहाँ अधिसंख्य बच्चों की डिलीवरी नोर्मल होती है. माना जाता है बच्चे को जन्म देना एक प्राकृतिक नैसर्गिक क्रिया है, इसमें किसी डाक्टरी का कोई कार्य नहीं. हाँ कोई कांप्लिकेशन हो जाए तो फ़िर तो डॉक्टर है ही जान बचाने के लिए.
प्रेग्नन्सी के दौरान प्रायः पति पत्नी विशेष कक्षाएँ अटेंड करते हैं, जिसमें बच्चे के जन्म लेने की पूरी प्रक्रिया अच्छे से समझाई जाती है. डिलीवरी के समय लेबर रूम में पत्नी के साथ पति भी रहता है, माना जाता है इस समय डॉक्टर से बेहतर निर्णय पति ले सकता है. वैसे ढेरों महिलाएँ तो अस्पताल की जगह घर पर ही बच्चा जनना पसंद करती हैं, हाँ आधुनिक संसाधन जैसे वॉटर टब आदि से पेन रिलीफ़ में आसानी रहती है. जो महिलाएँ अस्पताल भी जाती हैं, वहाँ लेबर रूम में पति रहता है. बच्चे के जन्म लेने की पूरी प्रक्रिया में पति को मुख्य रोल प्ले करना होता है, वही डिलीवरी कराता है, ज़रूरत पड़ने पर नर्स और डॉक्टर से मदद लेता है. बच्चे के पैदा होने के पश्चात नाभि का फ़ीता भी पति ही काटता है. बच्चा पैदा होते ही माँ को दे देते हैं, वह स्तन पान कराए, बच्चे का शरीर माँ के शरीर से चिपक सामान्य तापमान पर आ जाए. इसके पश्चात बच्चे का चिकिसकीय परीक्षण, टीके आदि लगना आरम्भ होता है.
ऐसा नहीं है कि वहाँ अस्पताल पैसे की परवाह नहीं करते, कैपिटलिस्ट देश है. अस्पताल ऐसी ऐसी सलाहें देता है कि आप करोड़ों खर्च कर दें. वह आपको बताएँगे कि फ़लाना ट्रीटमेंट से लेबर में पेन कम होगा. यह सौ डालर वाली विटामिन खाइए बॉडी मज़बूत बनेगी लेबर का पेन झेल सकेंगी. हमारी कैंटीन से तेल ले जाइए उसमें मिनरल्ज़ ज़्यादा हैं आदि आदि. कोई भी सलाह आपके सामान्य स्वास्थ को ख़राब करने वाली नहीं होगी. जब बात ऐक्चूअल डाक्टरी की आएगी तो सलाह वही होगी जो उचित है.
यह प्रक्रिया है उस देश की जो कुख्यात है कि वहाँ मेडिकल सर्विसेज़ महँगी हैं. जहां हेल्थ के केस में .001% भी डॉक्टर रिस्क नहीं लेते. वहीं यदि भारत से तुलना करें तो इधर अस्पताल 99% डिलीवरी केस में तुरंत ऑपरेशन कर देते हैं, क्योंकि उन्हें बिल बढ़ाना होता है. जच्चा बच्चा का स्वास्थ विशेष मायने नहीं रखता, मायने रखता है अस्पताल का बिल बढ़ाना. ऐसा एक नहीं लगभग हर केस में होता है कि भारत में अस्पताल मरीज़ की भलाई के विपरीत जाकर बिल बढ़ाने के लिए कुछ भी कर देते हैं.
आमिक्रान ने विदेशों में विशेष आतंक नहीं फैलाया है. पर भारत जैसे देशों में हेल्थ सर्विसेज़ इतनी ख़राब हैं कि सामान्य बुख़ार तक में दस दस दवाइयाँ दे दी जाती हैं जिनके दुष्प्रभाव लम्बे समय झेलने पड़ते हैं, अंटी बायआटिक तो रेवड़ी की भाँति मिलती हैं, आमिक्रान के समय अस्पताल वाले क्या क्या नहीं कर देंगे समझा जा सकता है.
सजग रहें, सावधान रहें, आमिक्रान से सुरक्षा खुद के हाथ में है, हेल्थ केयर सर्विसेज़ का हाल आप समझ ही रहे हैं.

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