अयोध्या राम की नगरी है. लखनऊ लक्ष्मण पुरी है लक्ष्मण की नगरी. पास में ही है उन्नाव का परियर क्षेत्र जहां सीता माता भूमि में समाई. आगे है बिठूर जहां वाल्मीकि आश्रम में सीता माँ लम्बे समय रहीं. यह पूरा अवध क्षेत्र राम का है. हज़ारों वर्ष बीत चुके हैं पर जैसे द्वारिका कृष्ण की नगरी है तो अयोध्या राम की. आप अयोध्या में प्रवेश भर कीजिए, यदि आपकी मन की आँखें खुली हैं तो अपने आप ही एक दिव्य अनुभूति होगी.
समझ आ जाएगा किसी अलौकिक स्थान पर हैं. राम सदैव मर्यादा पुरुषोत्तम रहे, संकोची रहे तो कलियुग में भी उनको एक घर के लिए सैंकडो वर्ष इंतज़ार करना पड़ा. पर मर्यादा पुरुषोत्तम हैं तो अयोध्या में सबसे भव्य महल कैकई का ही है – कनक भवन. यदि कबीलाई संस्कृति होती तो वहाँ तो सगे पिता को जेल में डाल राज किया जाता था, यह राम की नगरी है जहां बनवास भेजने वाली सौतेली माँ का भवन आज भी सबसे सुंदर है.
पूरे अवध क्षेत्र में राम स्थानीय क़िस्से कहानियों में हैं. वह भगवान ही नहीं हमारे राजा हैं. वह क़िस्से जो किसी पुस्तक में नहीं हैं, पर पीढ़ी दर पीढ़ी बुजुर्गों से चले आ रहे हैं. कहीं वह जंगल है जहां दशरथ ने श्रवण कुमार को तीर मारा था तो कहीं वह सीता कुंड है जहां सीता समाई थीं. तो कहीं बल खंडेश्वर शिव जी हैं जिनकी स्थापना लव ने की थी अश्वमेध युद्ध से पूर्व – वह विरोधी का बल खंडित कर देते हैं. तो कहीं कुशहरी माता का मंदिर है जिनकी स्थापना कुश ने की थी और तब से अब तक मंदिर के पुजारी कुश के वंशज ही कर रहे हैं – सूर्य वंशी क्षत्रिय ही इस मंदिर के पुजारी हैं.