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असली मकसद

ये तो सिर्फ शुरूआत है।

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-पहले स्कूलों में हिजाब पहनने की स्वीकृति की मांग।
-फिर लंच में गोमांस लाने की स्वीकृति की मांग।
-फिर नमाज पढ़ने के समय कक्षाओं के स्थगन की मांग।
-फिर स्कूलों में नमाज अदा करने की जगह की माँग।
-फिर जुम्मे के दिन स्पेशल छुट्टी की माँग।
इन सबमें मु स्लिम अब्बुओं से पैदा हिंदू नामधारी ब्रीड उनका समर्थन करेंगे।
# जब वे इसमें सफल हो जायेंगे तो फिर उनकी मांगों का दूसरा दौर शुरू होगा-
– सरकारी दफ्तरों में हिजाब पहनने की माँग।
-सरकारी मु स्लिम मुलाजिमों की दाढ़ी रखने की माँग।
-प्रतिदिन नमाज के समय विशेष अवकाश व एक नमाज रूम।
-जुम्मे को आधे दिन की छुट्टी।
-रमजान की तनख्वाह सहित छुट्टी।
अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और राहुल जैसे सत्ता के भूखे लोग इनकी मांगें स्वीकार करने को दवाब बनाएंगे।
-# फिर उनकी मांगें होंगी-
-इ स्लामिक बैंक की स्थापना की जाए।
-मु स्लिम इलाकों में शरिया कानून लगाया जाए।
-शरिया कोर्ट की स्थापना की जाएं।
-मुहमण्ड की आलोचना पर मृत्युदंड की धारा जोड़ी जाए।
-मु स्लिमों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र रखे जाएं।
-प्रत्येक थाने में आधे मुस्लिम हों व मुस्लिम बस्तियों में सिर्फ मुस्लिम पुलिस हो।
इतना सब होते होते उनकी जनसंख्या 50% पार कर चुकी होगी और फिर सीधे सीधे आपसे कहा जायेगा-
“मिंया चौधरी साहब, ठाकुर साहब और पिंडीजी, संविधान गया तेल लेने, सिर्फ इतना बताओ कि इस्लाम कुबूल करते हो या नहीं?”

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