Home विषयरोजगार आईआईटी में बी टेक के पश्चात कम्पनी एक डेढ़ करोड़ का पैकेज क्यों देती है

आईआईटी में बी टेक के पश्चात कम्पनी एक डेढ़ करोड़ का पैकेज क्यों देती है

Nitin Tripathi

by Nitin Tripathi
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आप अक्सर पेपर में पढ़ते होंगे आईआईटी में बी टेक के पश्चात किसी कम्पनी ने एक डेढ़ करोड़ का पैकेज दिया. कभी यह ध्यान दिया कि यह पैकेज MTech करने वालों को या phd वालों को क्यों नहीं मिलता? शेष वैश्विक यूनवर्सटीज़ में अगर बीटेक के बाद एक करोड़ मिलते हैं तो MTech के बाद डेढ़ करोड़, phd के बाद दो करोड़. और जायज़ बात है जैसे जैसे बड़ी डिग्री में जाते हैं, यूनिवर्सिटी का उसी में तो रोल होता है. आईआईटी में उल्टा होता है. अधिसंख्य कम्पनियाँ जो नौकरी के लिए छात्रों को लेने जाती हैं वह MTech / phd वालों से एक हाथ दूर बैठती हैं.
वजह यह है कि कम्पनियाँ जिन्हें नौकरी दे रही हैं, उन्हें आईआईटी में पढ़ने की वजह से नहीं दे रही हैं बल्कि इस लिए दे रही हैं कि वह भारत के सर्वश्रेष्ठ दिमाग़ हैं, वह चार साल पहले एक कॉम्पटिशन पास करके आए थे जिसमें सिलेक्शन रेट .59% है. उसमें भी टॉप iit और उसमें भी कम्प्यूटर साइयन्स – सिलेक्शन रेट .001% मान लीजिए. यह छात्र अगर चार साल जंगल में भी रहते तो भी कम्पनियाँ उन्हें इसी पैकेज पर लेती. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि यह पैकेज भी सबको नहीं मिलता, गिने चुने लोगों को ही मिलता है. और सवा अरब के देश के सर्वश्रेष्ठ लोगों को अमेरिका में दी जाने वाली यह सेलरी अमेरिका के टॉप कालेज के औसत जैसी ही है.
फ़्रेंकली स्पीकिंग आईआईटी में टॉप iit की कुछ ब्रांच छोड़ दी जाएँ तो एज सच आईआईटी का कोई विशेष वैल्यू अडिशन नहीं होता. आप रेयर पाएँगे कि केवल आईआईटी की डिग्री के बेसिस पर कोई टॉप पर पहुँचा हो. हाँ वह बच्चे बहुत मेहनती, बहुत टैलेंटेड होते हैं तो चार साल बाद फ़िर तगड़ा कॉम्पटिशन बीट कर अमेरिका चले जाते हैं और अब वाक़ई में कुछ सीखते हैं.
यदि आपका IIT में सिलेक्शन नहीं होता है तो निराश मत होईए. याद रखिए वैश्विक रैंकिंग्स में आईआईटी वैसे कालेजों में आता है जहां अप्लाई करने वाले पचास प्रतिशत का सिलेक्शन होता है, भारत की डिमांड सप्लाई प्रेस्टीज प्रॉब्लम से भारत में iit सिलेक्शन रेट .59% है. आईआईटी न सही कहीं भी अपनी योग्यता अनुरूप कालेज से डिग्री लें, है वह डिग्री ही पढ़ना अपने आप ही है सब जगह. अगर सक्षम हैं तो बाहर की यूनिवर्सिटी में ज़रूर पढ़ने जाएँ, अमेरिका नहीं तो यूरोप नहीं तो मलेशिया ही सही. फ़ॉर आ चेंज दिखेगा ऐक्चूअल पढ़ाई क्या होती है. और ज़िंदगी देखने व जीने के नज़रिए में जो परिवर्तन आएगा वह अनमोल होगा.

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