आज अंतिम फ़ेस है UP चुनाव का
फ़्रेंकली स्पीकिंग इन चुनावों में नब्बे प्रतिशत लोगों के पास कोई मुद्दा नहीं रहा सरकार बदलने का. बिजली सड़क पानी सुरक्षा सब बेहतर है. अपराध क़ाबू में है. ग़रीबों को फ़्री राशन ऐक्चूअली मिल रहा है. किसानों को सरकार की ओर से दो हज़ार रुपया हर चौथे महीने भेजा जाता है और वह पूरा का पूरा बग़ैर कमीशन कटे मिल रहा है. प्रदेश से नेताओं की गुंडा गर्दी समाप्त हो गई है. ढेरों सरकारी सुविधाएँ ऑनलाइन हो गई हैं उनमें भ्रस्टाचार समाप्त हुआ. राम मंदिर बन रहा है. भव्य काशी कारिडोर निर्मित हुआ है. पाँच साल की योगी सरकार के किसी मंत्री पर भ्रस्टाचार का कोई सीरीयस आरोप तक नहीं लगा. विधायकों आदि पर भी यदि सीरीयस आरोप लगे तो कार्यवाही हुई, वह जेल तक पहुँचे. महिलायें पहले से कई गुना ज़्यादा सुरक्षित हैं.
जो दस प्रतिशत लोग नाराज़ हैं उनमें आधे से ज़्यादा मठाधीश / ठेकेदार / बिल्डर / प्रॉपर्टी डीलर/ बिचौलिया वाली लाबी है. उनमें भी वह जो बदलाव की आहट समझ न पाए और पुराने तरीक़े पर ही डंटे रहे. अब उनकी होप है अखिलेश भैय्या आएँगे ऑनलाइन शिकायत सिस्टम, ऑनलाइन आवंटन जैसे सिस्टम समाप्त कर देंगे. थोड़ा ops की वजह से सरकारी अध्यापकों का एक group नाराज़ रहा.
बाक़ी आम जनता के point ओफ़ व्यू से भाजपा सरकार से कोई नाराज़गी न रही – उनकी भी जो वोट नहीं दे रहे हैं. बहस बहस में कोई चाहे जो बोल रहा हो, मुद्दा किसी के पास कोई न रहा.
बस योगी सरकार के ख़िलाफ़ जो बात जा रही है वह यह कि थोड़े जातीय समीकरण, कार्यकर्ताओं की उदासीनता, थोड़ी विधायकों की अंटी इनकम्बेंसी.
ओवेराल यह दिखा कि हर वह वोटर जिसने 2017 में भाजपा को वोट दिया था, वह यदि बूथ पर पहुँचा है तो उसमें ज़्यादातर ने भाजपा को ही वोट दिया है.
कल अंतिम चरण है. मुझे कोई रीजन नहीं दिखता कि भाजपा की सरकार क्यों नहीं आएगी. सीटें कितनी आएँगी, यह कहना मुश्किल है 202-350 कुछ भी हो सकती हैं.क्योंकि इस बार भाजपा के पक्ष में साइलेंट वाला वोट अर्थात् गरीब तबके का वोट / दलित / महिला वोट काफ़ी गया है. UP के परिवेश में इसका कितना वोट मिला यह evm खुलने पर ही पता लगता है. बाक़ी राजनैतिक अक्यूमेन, हिस्ट्री, वोटिंग पैटर्न, बूथ पर वोटेर से और पोलिंग के बाद नेताओं से बात कर इतना कन्फ़र्म है कि भाजपा सरकार आराम से रिपीट है.