Home विषयऐतिहासिक आज के बजट के थप्पड़ों की गूंज अगले 2 वर्षों तक सुनायी देगी।

आज के बजट के थप्पड़ों की गूंज अगले 2 वर्षों तक सुनायी देगी।

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आज के बजट की विशेषताओं विशिष्टताओं पर चर्चा कल करूंगा। आज केवल यही कहूंगा कि मोदी सरकार के इस बजट में उस भारत की छवि स्पष्ट दिखायी दे रही है, जैसा भारत हर भारतीय चाहता है। लेकिन इसकी चर्चा कल। आज बात बजट के थप्पड़ों और उनकी गूंज की जो मेरे कानों में इसलिए गूंज रही है क्योंकि मैं खबर के भीतर छुपी अदृश्य खबर भी बड़े ध्यान से पढ़ने का प्रयास करता हूं.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज वित्तीय वर्ष 2022-23 का 39.44 लाख करोड़ रूपये का बजट प्रस्तुत किया गया है। आज से 9 वर्ष पूर्व अपने 10 वर्षीय शासनकाल के अंतिम वित्तीय वर्ष 2013-14 में कांग्रेसी यूपीए द्वारा 16.65 लाख करोड़ का बजट प्रस्तुत किया गया था। अर्थात अपने शासनकाल के नौवें वर्ष में मोदी सरकार यूपीए सरकार की तुलना में उससे 22.79 लाख करोड़ रु (137%) अधिक खर्च करने जा रही है।
आज के बजट का यह पहला जोरदार थप्पड़ है उस कांग्रेस और उसकी चाटुकार उस लुटियन दलाल मीडिया के गाल पर जो रातदिन यह जपती रहती है कि मोदी ने इस देश की अर्थव्यवस्था को तबाह बरबाद दीवालिया कंगाल कर दिया है। अगर यह सच है तो कांग्रेसी यूपीए शासनकाल की तुलना में मोदी सरकार को 22.79 लाख करोड़ रुपये अधिक खर्च करने के लिए कौन दे रहा है.? इतनी बड़ी राशि उसे कौन दे रहा है.?
अब यह भी समझिए…
कांग्रेसी यूपीए के अपने अंतिम 5 वर्षीय शासनकाल (2009-14) के दौरान प्रस्तुत 5 बजटों में कुल मिलाकर 1.14 लाख करोड़ रुपए कृषि मंत्रालय को दिए थे। जबकि केवल इस एक वर्ष के बजट में ही मोदी सरकार ने 1.24 लाख करोड़ रुपए कृषि मंत्रालय को दिए हैं।
कांग्रेसी यूपीए के अपने अंतिम 3 वर्षीय शासनकाल (2011-14) के दौरान प्रस्तुत 3 बजटों में कुल मिलाकर 5.61 लाख करोड़ रुपए रक्षा मंत्रालय को दिए थे। जबकि केवल इस एक वर्ष के बजट में ही मोदी सरकार ने 5.25 लाख करोड़ रुपए रक्षा मंत्रालय को दिए हैं।
अपने शासनकाल के अंतिम वित्तीय वर्ष 2013-14 में कांग्रेसी यूपीए की सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय को 37.33 हजार करोड़ रुपये दिए थे। जबकि इस एक वर्ष के बजट में ही मोदी सरकार ने 86.60 हजार करोड़ (133%) अधिक रुपए स्वास्थ्य मंत्रालय को दिए हैं।
ऐसे तथ्यों की सूची बहुत लंबी है जो यह बताती है कि यूपीए शासनकाल की तुलना में कितना मोदी सरकार कितना अधिक धन देश पर खर्च कर रही है। और यही सूची कांग्रेस और उसकी चाटुकार उस लुटियन दलाल मीडिया के गाल पर वह दूसरा जोरदार थप्पड़ है जो रातदिन यह जपती रहती है कि मोदी ने इस देश की अर्थव्यवस्था को तबाह बरबाद दीवालिया कंगाल कर दिया है।
इन थप्पड़ों की उस गूंज का परिचय कल की पोस्ट में विस्तार से लिखूंगा जो अगले 2 वर्षों तक सुनायी देगी।
अंत मे उस आलोचना का उल्लेख आवश्यक है जिसका ढोल बजट भाषण की समाप्ति के साथ ही NDTV के नेतृत्व में न्यूजचैनलों पर पीटा जाने लगा। इस बजट में इनकम टैक्स की सीमा नहीं बढ़ायी गयी है। इस आलोचना का सच यह है कि यदि यह सीमा 50,000 और बढ़ाकर 5.5 लाख कर दी जाती तो अधिकतम 10 हजार की और छूट मिल जाती। लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि आम आदमी पर बोझ डालने वाला किसी भी प्रकार का कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया है, ना पुराने किसी टैक्स की दर को बढ़ाया गया है।
देश नहीं पूरी दुनिया की कमर तोड़ देने वाली भयानक महामारी के जानलेवा संकट की 2 साल गहरी अंधेरी खाई से देश को निकाल रही सरकार के साथ इतनी निर्ममता, इतनी स्वार्थपरता उचित नहीं।

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