आपके बिना कैसे जियेंगे हम, आपके गीतों को गाए-गुनगुनाए बिना हमारी कोई भावना-संवेदना अभिव्यक्ति नहीं पाती थी, आपने न केवल हमारी हँसी-प्रेम-उमंग-उल्लास को स्वर दिया, बल्कि हमारे दुःख-दर्द को भी अपना स्वर देकर बाँटा, हल्का किया। बल्कि मैं तो यह तक कहूँगा कि आपके गीतों ने हमारी संवेदनाओं को गहरा अर्थ और अनंत विस्तार दिया।
कल संपूर्ण भारत ने आपकी आराधना की है ,आपके जैसा पावन पुनीत स्वर इस धरा पर अब कदाचित कभी नहीं आएगा, आपकी यह अमूल्य अनमोल धरोहर हमारे साथ हमेशा रहेगी। जाना तो एक दिन सबको है, पर आपके जाने से जो स्थान रिक्त हुआ है, उसे अब निश्चित कोई नहीं भर पाएगा। पर एक वचन देता हूँ, विदा की उस अंतिम बेला तक हम आने वाली पीढ़ियों को बताते रहेंगें कि हमने माँ सरस्वती को लता जी के रूप में साक्षात हँसते-मुस्कुराते-बतियाते और गाते देखा था।
गर्व से कहता हूँ- ”हम भारतीयों के पास लता मंगेशकर हैं।” सचमुच की भारतरत्न -लता मंगेशकर! ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। कैसा संयोग है, माँ सरस्वती की वरद पुत्री ने विसर्जन के लिए भी उन्हीं की पूजा का पावन दिवस चुना! माँ सरस्वती का साक्षात स्वरूप अंततः उन्हीं में विलीन हो गईं। विनम्र श्रद्धाजंलि।