आज जो आप अग्निवीर के नाम पर देख रहे हैं, 1991 तक पूरा देश ऐसा ही था। अधिकांश college, factories, सरकारी कार्यालय गुंडागर्दी, हिंसा, आगजनी का केंद्र था। फिर भगवान स्वरूप नरसिंह राव जी आए। उन्होंने उद्योग धंधे पर प्रतिबंध लगाने वाली “नेहरू जंजीर” को थोड़ा तोड़ दिया। कांग्रेसी और समाजवादी ( चर्च और मस्जिद संचालित गिरोह) को बेरोजगर विद्यार्थी मिलने कम हो गये। दंगे कम हो गए। अब दंगों के लिए सिर्फ जिहादी और लंगरजीत उपलब्ध हैं जिनसे जनता का कोई सम्बंध नहीं है।
1995 तक हमारे college के छात्र सिर्फ trekker का भाड़ा माँगने पर trekker जला देते थे। फिर हिंसा होती थी। फिर हमलोग कोcollege से दो तीन महीने के लिए भगा दिया जाता था। कभी जाति, कभी लड़की, कभी परीक्षा ना होने देने के लिए मार पीट होती थी। उद्योग धंधे थे ही नहीं कि किसी को नौकरी की चिंता होती।
इंदिरा गांधी ने गुंडागर्दी के नए मानक स्थापित किए। यहाँ तक कि खुद को जेल से बचाने के लिए दो कांग्रेसी गुंडों से हवाई जहाज़ का अपहरण करवा लिया था 1979 में। दोनो गुंडों को इंदिरा ने 1980 में सांसद बनाया। इंदिरा वाली गुंडागर्दी ज्योति बसु समेत हर वामपंथी, जातिवादी नेता ने अपनाया।
हर कारख़ाने में हड़ताल होती थी। मैनेजर साहब की चेम्बर में कूटायी होती थी। सरकारी कार्यालय में थोड़ी सी सत्यनिष्ठा दिखाओ तो अधिकारी को थप्पड़ लगाते थे कांग्रेसी व वामपंथी गुंडे।