Home चलचित्र आमिर खान अच्छे एक्टर है…
निःसन्देह आमिर खान अच्छे एक्टर है लेकिन कलाकार नहीं, क्योंकि कलाकार निष्पक्ष होता है। इनमें निष्पक्षता दूर दूर तक न है। राजनीति में ख़ूब दिलचस्पी रखी और 2016 में तो खुलकर सामने आए। बल्कि 2006 में फना के वक्त भी एकतरफा बातें की और इसी के चलते गुजरात में बैन देखना पड़ा। ख़ैर
आमिर ने अधिकतर फ़िल्में सेकंड चॉइस वाली की है। लगान, दिल चाहता है, रंग दे बसंती, 3 इडियट्स, पीके आदि। कुछ फिल्में दूसरों से हड़पी भी, मसलन तारे जमीन पर अक्षय खन्ना से उठा ली। जबकि लेखक अमोल गुप्ते अक्षय के साथ फ़िल्म बनाना चाहते थे।
मंगल पांडे के साथ मेथड एक्टिंग पर फोकस करना शुरु किया और क़िरदारों को वक्त देने लगे। फ़िल्म की सफलता में लेखक व निर्देशक के क्रेडिट को भी लूट कर ले गए। इसलिए कुछ अपवाद को छोड़ से तो निर्देशक रिपीट न हुए। मीडिया ने ब्रांडिंग में मिस्टर परफेक्शनिस्ट चस्पा कर दिया, तो लाल सिंह चड्डा ने इस छवि को पूरी तरह धो डाला। क्योंकि इसके प्रोडक्शन में आमिर ही कप्तान रहे, सबसे अव्वल इसका रीमेक चुनाव ही वाहियात था। अमेरिका व भारत के हालातों में इतना भिन्नताएं होने के बावजूद फारेस्ट गंप को इतना वक्त दिया।
बेचारे डेब्यूटेंट डायरेक्टर तो धोखा खाकर निकल बैठें। क्योंकि जिस स्पेस की सोच में आए थे, मिल न पाई।
फ़िलहाल आमिर खान एक्टिंग से छुट्टी ले लिए है और लेनी भी चाहिए…लाल सिंह के बाद तो सन्यास बनता है। कला के रहनुमाओं को समझना चाहिए, कि कला सिर्फ़ निष्पक्ष है। समाज के दोनों पहलुओं को दर्शकों के समक्ष रखते है न कि प्रोपगेंडा व नैरेटिव…

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