आज़मगढ़ में हूँ ।
आज़मगढ़ मने सपा – बसपा का गढ़ ।
UP में सपा का सबसे मजबूत किला जिसे BJP आजतक कभी फतह नही कर पाई ।
2017 के UP के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सुनामी के बावजूद आज़मगढ़ में भाजपा को मुह की खानी पड़ी थी ।
यहां की 10 विधानसभा सीटों में से 5 सपा ले गयी और 4 बसपा ।
भाजपा के हिस्से आयी सिर्फ 1 सीट ….. फूलपुर पवई ।
और उसे भी मैं भाजपा की सीट इसलिये नहीं मानता क्योंकि वहां से यहां के स्थानीय बाहुबली माफिया रमाकांत यादव के बेटे अरुण कुमार यादव लड़े थे। और वो विजय रमाकांत यादव की व्यक्तिगत विजय थी न कि भाजपा की ।
इसलिये सच ये है कि सच्चे अर्थों में 2017 में आज़मगढ़ में एक भी सीट भाजपा नही जीती थी ।
आज क्या स्थिति है ????
इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में मैं यहां आज़मगढ़ में पूरे 35 दिन रहा था और पूरे लोकसभा क्षेत्र के भाजपा संगठन से मिलता रहा था । इस क्षेत्र के बहुत से भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मेरा व्यक्तिगत परिचय है ।
प्रारंभिक बातचीत में भाजपा के लोग बताते हैं कि इस बार हम यहाँ 4 seat जीत रहे हैं और 2 seat पे बहुत तगड़ी fight रहेगी ।
सड़क चलते और चट्टी चौराहे पे चाय की दुकानों पे बात करते लोगों से पूछने पे भी यही रुझान सामने आ रहा है ।
आम आदमी गरीब गुरबा भी योगी योगी कर रहा है ।
कल बहुत ज़्यादा लोगों से मिलना जुलना हो नही पाया ।
आज हम शहर से दूर अंदरूनी गांवों में जाएंगे ।
वहां असली हालात का अंदाज़ा होगा ।
पर फिजां बदली बदली सी है , ये Confirm है ।
ये जान लीजिये कि पश्चिम ,मध्य , रुहेलखंड , अवध , बुंदेलखंड में तो सपा की हालत खराब है ही ।
ले दे के एक बस पूर्वांचल है , उसमे भी सिर्फ आज़मगढ़ और गाज़ीपुर जिले …….
मुल्लाM का ये किला भी अगर ढह गया तो यूँ समझ लीजिये कि 22 में 22 बाइसिकल भी नही आएंगी ।
दूसरे नम्बर के लिये सपा बसपा में कड़ी fight है ।
अगर आज़मगढ़ भी गिरा तो सपा 20 सीट के लिये तरस जाएगी ।
पूरे होशोहवास और पूरी जिम्मेवारी से पोस्ट लिखी है ।
मैं कोई आशुतोष का सत्य हिंदी नही हूँ ।
मुझे 10 मार्च के बाद भी मुह दिखाना है ।
इस पोस्ट का SS ले रखिये ।
10 मार्च को काम देगा ।