सुना है कि करणी सेना ने दवाब डालकर चंद्रप्रकाश द्विवेदीजी को मूवी का नाम बदलने को विवश कर दिया है।
अब नाम होगा, “सम्राट” पृथ्वीराज चौहान।
बस अब यही बाकी रह गया है।
अब अनपढ़ गुंडे इतिहास लिखेंगे क्योंकि भई लोकतंत्र है।
-कोई मिहिरभोज व पृथ्वीराज को गुर्जर सम्राट बना रहा है।
-कोई बनाफर राजपूत आल्हा-ऊदल को यादव घोषित करने पर अड़ा है।
-कोई स्पष्ट लिखित कायस्थ नरेश ललितादित्य को नागवंशी राजपूत सिद्ध करने पर अड़ा है।
-कोई दर्ज विवरणों में ढूसर बनिया हेमचंद्र विक्रमादित्य और भारद्वाज गोत्री मन्हास लक्ष्मण देव को ब्राह्मण सिद्ध करना चाहता है।
जैसे जैसे हिंदुत्व व घरवापसी आंदोलन की संभावनाएं बढ़ रही हैं ये नये नवेले स्वयंभू इतिहासवेत्ता इस चिंगारी पर पानी डाल रहे हैं।
जब करणी सेना के तथाकथित कर्ताधर्ताओं को घंटा नहीं पता कि ‘सम्राट’ की उपाधि किसे और कब लगाई जाती है और क्यों स्वयं पृथ्वीराज चौहान तो दूर उनसे छः गुने बड़े साम्राज्य के स्वामी मिहिरभोज प्रतिहार ने स्वयं नहीं लगाई तो ये क्यों बकवास करने पर उतारू हैं?
अब भारत में इतिहास लेखन करणी सेना, गुज्जर सेना, परशुराम सेना, अहीर सेना के गुंडों द्वारा लिखा जायेगा।
कुछ दिन बाद ये लोगों की वल्दियत भी तय करने लगेंगे।

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