इक़बाल ने लिखा है मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना / हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा। लेकिन यही इक़बाल मज़हब के आधार पर पाकिस्तान बनाने के अगुवा लोगों में से एक थे। यानी पाकिस्तान के संस्थापक सदस्य। ख़ैर अब यह दो स्त्रियां हैं। एक नुपूर शर्मा , दूसरी महुआ मोइत्रा।
दोनों ही ने मज़हब के बाबत टिप्पणी की हैं। दोनों की ही निंदा स्तुतियां जारी हैं। लेकिन एक नुपूर के बयान पर तो कत्लोग़ारत शुरु हो गई। शहर-शहर पत्थरबाजी की बरसात शुरु हो गई। सुप्रीम कोर्ट का एक जज भी बदहवास हो कर अनर्गल टिप्पणियां करने लगा। इतनी अनर्गल कि अपने आदेश में उन टिप्पणियों को लिखने का साहस नहीं कर सका।
बाद में सोशल मीडिया जब उस जज पर बेतरह हमलावर हो गई तो वह सोशल मीडिया पर हमलावर हुआ। लेकिन फुस्स हो गया। जान गया वह कि जनमत आग की नदी है। इन दोनों स्त्रियों का यहां ज़िक्र महज यह जानने की गरज से है कि आख़िर किस धर्म में कट्टरता ज़्यादा है और कि किस धर्म में धीरज और बर्दाश्त ज़्यादा है। कुल हासिल यह कि सहिष्णु कौन है और असहिष्णु कौन ? राय आप मित्रों की आमंत्रित है।