लखनऊ पूर्व विधानसभा सीट की एक सभ्रांत कालोनी में आज सुबह टहलते हुए एक दृश्य दिखाई दिया जहाँ पाँच-छ महिलाएँ एक घरेलू कामकाजी महिला को घेरे खड़ी मिलीं। चर्चा चुनावी हो रही देख कर हमारे कान खड़े हो गए।
बिना किसी सरकारी योजना के लाभ वर्ग की सारी महिलाएं उस एक लाभार्थी वर्ग की महिला को समझा रहीं : सुनो देख्यो.. तुमका राशन मिल रहा न? तुमही बताए रहू कि सिलेण्डर और चूल्हा भी पाय गयी हो! कोरोना मां देखबे कियो कैसा इंतेजाम रहा! बदमाशी-गुंडई तुमरे गाँव मां खत्म है ई सब तो तुमही बतावत रह्यो!
अब का तुम जाति देखिहो कि ई सब काम देखिहो? अइसन गलती न करिहो… पाँच साल कुछु न मिलिहे।
एक वोट के लिए इतना आक्रामक और भारी प्रचार देख हम अपना कान बैठा के आगे बढ़ लिए। यहां प्रचार बीती शाम से बन्द है, कल मतदान होना है।
जनता ऐसे लड़ रही है चुनाव हर सीट पर।