ये बात अक्सर कही जाती है किसी भी उम्र में कुछ भी करने को डिफेंड करने के लिये।
पिछले सप्ताह कुछ बुरा हुआ मेरे साथ। एक पुरानी दोस्त थी उसके बारे में पता चला कि बहुत शराब पीना शुरू कर दिया है शायद ड्रग्स भी। हम दोस्तों का ग्रुप था। मस्ती होती थी, पार्टी होती थी, लड़को के बारे में बात भी होती थी जैसा हर ग्रुप में ऑपोजिट जेंडर के बारे में होता है। Early 20s की उम्र रही होगी। पर बाकी सारे दोस्त उम्र के उस पड़ाव से समय के साथ निकल गये। पढ़ाई खत्म की, जॉब ज्वाइन किया, पैसे आये तो अपनी जिम्मेदारी लेना शुरू किया। पर वह उसी उम्र में अटकी रह गयी। कोई करियर ग्रोथ नहीं हुआ। वही शाम की पार्टी, वहीं टिंडर डेट्स पर डेट्स, और जिंदगी में स्थिरता ना आने की वजह से वह कभी-कभार की पार्टी कब एडिक्शन में बदल गयी उसे पता भी नहीं चला। कब उसने उसके प्रति गम्भीर रहने वाले लड़के को छोड़कर बस टाइम पास के भीड़ से घिर गयी उसे पता भी नहीं चला।
करीबी दोस्तों ने काफी कोशिश किया पर उसके लिये उम्र बस एक नम्बर है, जी रही है वह जिंदगी। हो सकता है कल को सफल हो जाये, मेरी यही कामना होगी।
पर ईमानदारी से कहूँ तो उम्मीद कम है। जब आप तीस के उम्र में भी बीस की तरह व्यवहार करते हैं, तो आप जीते कम है, डिज़ास्टर ज्यादा करते हैं।
आज सताइस की उम्र में वह जिस रास्ते पर जा रही है, ज्यादा नहीं पैतीस के बाद ही उससे वापस मुड़ने का मौका नहीं मिलेगा।
पापा कल बोल रहे थे कि ध्यान दो सोमी पढ़ाई कर रही है कि नहीं। छोटी बहन ने दो महीने में कई टूर किये कॉलेज की तरफ से। ऋषिकेश गयी, जोधपुर में स्पोर्ट्स इवेंट से हो आयी और अब महाराष्ट्र के किसी वर्कशॉप पर गयी है। मैंने कहा,” आप निश्चित रहिये, ध्यान रख रही हूँ।”
दरअसल, मैं खुद उसे बढ़ावा दे रही थी कि जम कर पार्टिसिपेट करो इन एक्टिविटी में।देखा है मैंने वह समय जब वह कमरे से बाहर नहीं निकलती थी पढ़ाई के चक्कर में। इसलिये चाहती हूँ कि अपने सेकंड ईयर तक बहुत कुछ और भी कर ले।
पर सिर्फ सेकंड ईयर तक?
नहीं। उसके बाद भी मौके आएंगे ही पर उसे खुद पर लगाम करना होगा। अगर उसे MBBS से कुछ ज्यादा करना है तो वह दो महीने में तीन ट्रिप अफोर्ड नहीं कर सकती हमेशा। तीसरे साल से लगभग सब बच्चे सीरियस हो जायेंगे फिर से PG की तैयारी के लिये। भारत के कम्पीटीटिव एग्जाम का पागलपन शायद दुनिया में सबसे ज्यादा है। पर यहाँ है तो ढलना ही पड़ेगा इसके हिसाब से चाहे खुश हो कर करे या मन मार कर।
कोटा फैक्ट्री में एक लड़के ने कहा था, जब अंतिम में सफलता नहीं मिलती है तो यही आज की गयी मस्ती खुद को गलती लगने लगती है।
उम्र के हर पड़ाव की अपनी जिम्मेदारियाँ होती हैं, पढ़ाई, शादी, बच्चें हर तरह के और उनको टाल देना बुद्धिमानी नहीं है। हाँ, सच है कि कुछ लोग लेट से जागने के बाद भी सफल हो। पर ज्यादातर के साथ ऐसा नहीं होता।
जिंदगी के अनेक माइलस्टोन हैं, उनको मिस करने वाले लोग ज्यादातर एक उम्र के बाद निराशा और एकाकीपन के शिकार होते हैं और कड़वाहट से भरते हैं।
So age is not just a number, हम किस उम्र में कैसा व्यवहार रखते हैं यही हमारे भविष्य का पूरा रास्ता तैयार करता है।