Home आर ऐ -ऍम यादव ( राज्याध्यक्ष) एक विशिष्ट किस्म के लोग होते हैं जो

एक विशिष्ट किस्म के लोग होते हैं जो अपने झूठ को किसी को साक्षी बनाकर बोलते हैं। अक्सर बात बड़ी नहीं होती और जिसकी गवाही बताई जा रही है वो बोलनेवाले का लिहाज कर के चुप रहता है। मिसाल दें तो एक व्यक्ति से मेरी अच्छी मित्रता थी कॉलेज के दिनों में । फिर आगे चलकर मैंने संपर्क खत्म किये क्योंकि उसे ऐसी आदत थी । जैसे कोई झूठ बोलना और अगर मैं मौजूद हूँ तो बताना कि इसे भी पूछ लीजिए, ये जानता है, या इसको मालूम है।

 

कॉलेज के दिनों ये बातें अधिक नुकसानकारक नहीं थी लेकिन जैसे उम्र बढ़ी तो इस बात के संभाव्य नुकसान समझ आए। शुरू में मैंने यह कहकर देखा कि नहीं, कोई और होगा, तुम्हारी याददाश्त में कोई गलती हो रही है, लेकिन साहब को इशारे समझ नहीं आए कि मैं बकरा बनने को तैयार नहीं। अंत में मैंने मिलना जुलाना बंद कर दिया। दुख हुआ क्योंकि उसके साथ समय मजे से कटता था। लेकिन उसकी आदत के कारण जै रामजी की करना आवश्यक हुआ।

 

बिजनस या नौकरी में भी ऐसे लोग देखे हैं, जो अपने किसी जूनियर या अपने पर निर्भर किसी छोटे सप्लायर को इस तरह इस्तेमाल कर लें। सदभाग्य से मेरे कोई डायरेक्ट बॉस ऐसे नहीं रहे।

 

वैसे तो ऐसे लोगों से बहुत बड़े नुकसान होते नहीं क्योंकि लोग इनसे समझ आते ही किनारा कर लेते हैं। लेकिन केजरिया जैसे लोगों की बात निराली है।

 

केजरीवाल जब धड़ल्ले से झूठ बोलता है तो सावधानी बरतता है कि उसकी बात को काटनेवाला कोई वहाँ उपस्थित न हो। अगर इंटरव्यू भी देता है तो इंटरव्यू करनेवाला या वाली उसके झूठ को चैलेंज नहीं करती। जैसे पंजाब चुनाव के पहले किसी महिला को इंटरव्यू दे रहा था तो उसने बिल्कुल straight face से कहाँ कि हम ने दिल्ली को निगेटिव से पॉजिटिव बजेट में ले आए।

 

हालांकि इसकी स्वघोषित कार्यक्षमता के चर्चे मीडिया और सोशल मीडिया में हैं, मंच से कोई स्थापित एंकर का इस तरह उपयोग करना धोखे से कम नहीं।

 

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