जो लोग सड़क गली नदी नाले पार्क स्टेशन एयरपोर्ट इत्यादि किसी भी स्थान पर नमाज पढ़ लेते हैं, पहली बात तो यह कि फिर इनको 50-100 बीघे की जगह(M ज्जिद) क्यों चाहिए?
दूसरी बात,अखण्ड भारत के कई भाग इन्होंने एक्सक्लूसिव स्वयं के सरिया के लिए कटवा कर कर ले लिए जहाँ से सतयुग से कलयुग तक के कई महत्त्वपूर्ण सनातनी पूजा स्थल इन्होंने मिटा दिए(बलिहारी भारत में हिनू नाम से रह गए तथाकथित बाप चचा गैंग की जिन्होंने अपने सहोदरों को जमीन काटकर देते समय एकबार नहीं सोचा कि कम से कम हिन्दुओं के पूजास्थल उनके पूजन हेतु संरक्षित करवा लें), इन्हें वहाँ के हिन्दुओं के घर द्वार जमीन जायदाद के साथ साथ यहाँ मंदिरों को मिटाकर उसपर खड़े किए गए म ज्जिद भी चाहिए।
जिस जमीन को ये छू दें, वह इनके वक़्फ़ बोर्ड का हो जाय, इनके द्वारा ध्वस्त कर हथियाये गए ऐतिहासिक धार्मिक स्थल केवल इनके ही रहें,कानून बनाकर ऐसी व्यवस्थाएँ जिन सेकुलड़ी राजनीतिक दलों ने की और जिसके बल पर पूरे ठसक से ये कयामत तक उनपर कब्जे की बात कहते हैं,,आखिर कब तक एकतरफा सेकुलडिता का यह पहाड़ हमारे कलेजे पर रखा रहेगा और हम इसे गुदगुदी मानते मुस्कुराते खिलखिलाते रहेंगे?
इनके कुकुरमुत्ते की तरह उगाए जाते जा रहे द रगाह म ज्जिद पर हिन्दुओं द्वारा प्रतिरोध तो छोड़िए,उल्टे उनपर लोग चादर फूल चढ़ा आते हैं,अब और कितनी सेकुलरिता चाहिए भाई?