कैलकुलस गणितज्ञ Part 3

Source - विज्ञान विश्व

by Praarabdh Desk
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 “कहानी कैलकुलस गणितज्ञ की”

आठ गणितज्ञों से सजा परिवार और गेटवे आर्च

क्या आपने कभी सेंट लुइस, मिसौरी का प्रसिद्ध #गेटवे_आर्च देखा है? आज भी लाखों पर्यटक यहां घूमने आते है। 630 फीट ऊँचाई और इतनी ही आधारीय चौड़ाई वाला यह स्मारक गणित और सिविल इंजीनियरिंग के संगम का बेजोड़ नमूना है। इसकी सरंचना एक फिनिश-अमेरिकन आर्किटेक्ट #इरो_सारीनन और जर्मन-अमेरिकन आर्किटेक्ट #हैंसकार्ल_बंडेल ने बनाई थी। इसे देखने पर लगता है मानो दो खुट्टीयों से लटकी किसी जंजीर से बनी आर्च को हूबहू उल्टा कर उसे ठोस का रूप दिया गया हो (आप तस्वीरे देख सकते है) लेकिन इस तरह की संरचना के पीछे उभर कर आती है गणितज्ञो की नींद उड़ा देने वाली एक खास पहेली।
तो आइए जानते है क्या है वो पहेली?
सबसे पहले ये सवाल लियोनार्डो द विंसी के विचार में आया कि अगर किसी जंजीर के सिरों को समान उचाईयो तथा क्षैतिजतः कुछ दूरी पर गाड़ी गयी खुट्टीयों से लटकाया जाय तो उसका ज्यामितीय आकृति क्या होगी? द विंसी ने इससे सम्बंधित कई स्केच अपनी नोटबुक में बनाये। कई गणितज्ञो ने इसे सुलझाने की कोशिश की।
देकार्ते को यह पहेली अपने दोस्त आइजक बीकमैन से पता चली। लेकिन उन्होंने इसे हल करने की दिशा में कोई कार्य किया, इसका साक्ष्य कही नही मिलता।
गैलिलियो का मानना था कि यह एक परवलय होना चाहिए परन्तु पादरी पारडीज़ ने उन्हें गलत साबित कर दिया। हालांकि पारडीज़ खुद इस आकृति का सही ज्यामितीय सम्पर्क नही ढूंढ पाए। आखिरकार यह चर्चित समस्या catenary के नाम से जाने जानी लगी। लैटिन शब्द catena का अर्थ होता है- chain.
इस समस्या को सुलझाने में एक परिवार के सदस्य भी खासे सक्रिय हो गए थे। वो परिवार था – बरनौली परिवार। दिग्गज गणितज्ञों से भरे इस परिवार ने सत्रहवी सदी से लेके उन्नीसवीं सदी के बीच आठ प्रतिभावान गणितज्ञ पैदा किये। हालांकि बरनौली परिवार में गणितीय श्रेष्ठता को लेके कलह भी थी।
इन्ही परिवारों के दो भाइयों ने भी catenary समस्या पर काम करना शुरू किया – जैकब बरनौली (1654- 1705) और जॉन बरनौली (1667- 1748)। जैकब प्रायिकता सिद्धांत के प्रमुख गणितज्ञों में से एक थे।


1690 में जैकब ने द विंसी द्वारा उठाये गए catenary समस्या पर काम शुरू किया। और कई रातो को अपनी नींदे गवाई। गैलिलियो की तरह जैकब को भी लगता था कि ये आकृति कही न कही परवलय ही होनी चाहिए। एक साल बाद उन्होंने ये समस्या अपने छोटे भाई जॉन बरनौली को बताई।
जॉन ने भी उसपे काम करना शुरू किया। न्यूटन और लिबनीज़ द्वारा किये गए ताज़ातरीन समाकलन कार्यो की समझ जॉन को थी। इसलिए उन्होंने इसे फलनिक ग्राफ के रूप में देखा और अवकल समीकरणों की सहायता से सुलझा लिया। हालांकि बहुत जल्द ही लिबनीज़ और डच भौतिकविद क्रिश्चियन हाइगेन्स ने भी इस सुलझा लेने में सफलता पाई परन्तु हाइगेन्स का तरीका जटिल ज्यामितीय विधियों पर आधारित था।
इस समस्या को सुलझा लेने के बाद जॉन अपनी खुशी छुपा नही पाए। 29 सिंतबर 1718 को उन्होंने फ्रेंच गणितज्ञ पियरे रेमंड दे मोंटमोर्ट को लिखे खत में उनकी खुशी देखी जा सकती है।
” ये ठीक बात है कि मेरे भाई ने मुझे इस समस्या के बारे में बताया लेकिन क्या लगता है? तब उनके पास इसका हल था? बिल्कुल नही।
जब उन्होंने मुझे इसके बारे में बताया तब हम में से किसी के पास इसका हल नही था। हम लोग इस समस्या को लगभग मान चुके थे कि यह कभी हल न कि जा सकेगी परन्तु लिपजिग जर्नल में छपे लिबनीज़ के समस्या का हल खोज लेने के दावे से हमे अपना काम नए तरीके से शुरू करने की हिम्मत मिली क्योंकि लिबनीज़ ने अपनी विधि छपने को नही दी थी। मैं आपको बिल्कुल बिना शर्म के खुशी से सब बता रहा हूं।


मैं सच क्यों छुपाऊ, मैं खुल के बताता हूं। मेरे भाई के सारे प्रयास गलत दिशा में थे। हालांकि मैं भाग्यशाली था कि इसे संपूर्णता से हल करने की गणित मुझे मालूम थी। हालांकि यह एक दिमागी तौर पर थका देने वाला काम था। मैं पूरी रात उलझा रहा लेकिन अगली सुबह मैं खुशी से भर गया। मैं दौड़कर जैकब के पास गया जो अभी भी किसी दुखदाई जटिल समस्या से लड़ता हुआ प्रतीत हो रहा था। गैलिलियो वाले मत पर उसका विश्वास अभी पक्का था।
रुको, इस चेन को परवलय साबित करने में खुद को और टार्चर मत करो। यह पूरी तरह गलत है। मैंने उससे कहा और फिर अपना हल दिखाया।
अब आते है समस्या के समाधान पर…..
अगर आपने फलनिक जैसे ग्राफ को ठीक से समझा है तो किसी चरघातांकीय फलन ( जैसे- e^x) और उसके संयुग्मी ग्राफ ( जैसे e^ -x) के बीच बने क्षेत्र को देखिए यही तो है —– Catenary….
अभियांत्रिकी के उपयोग के लिए इन ग्राफ्स के साथ नए भिन्नात्मक गुणांकों का जोड़कर सारीनन और हैंसकार्ल ने गेटवे आर्च का खाका खिंचा।
हालांकि ऐसी आकृतियां यूनानी स्मारकों में भी देखने को मिलती है।

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