Home राजनीति गाँधी ने कहा हम अहिंसा का साथ नहीं छोड़ सकते

गाँधी ने कहा हम अहिंसा का साथ नहीं छोड़ सकते

मधुलिका शची

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अभी मोहन भागवत ने कहा हमारे एजेंडे में मथुरा ,काशी नहीं है..! हमारा आंदोलन सिर्फ राम मंदिर को लेकर था…
अब हिन्दू वीर उबल पड़े कि अरे मोहन भागवत ने ये क्या कह दिया..?
ठीक ..! आज़ादी के समय भी कुछ वीर उबल पड़े अरे ये गांधी ने क्या कह दिया..?
गांधी तो मुस्लिमों का हितैषी है, हिंदुओं का दुश्मन है
और आज के हिंदुओं के प्रौढ़प्रताप पुरंदर परमब्रम्ह श्री श्री गोडसे जी ने गांधी की हत्या करके पाकिस्तान विभाजन और हिंदुओं की हत्या का बदला ले लिया..!
नामुमकिन नहीं है कि भविष्य में कोई वीर फिर उठ खड़ा होगा और किसी हिन्दू नेता की हत्या करके एक किताब लिख देगा..” मैंने फलाने को क्यों मारा” और ठीक श्री श्री परमब्रम्ह गोडसे की तरह लिखेगा कि ,उसने ये कहा वो कहा ,
फिर तुम लोग सिर माथे पर बिठाकर हिन्दू वीर घोषित कर लेना,
यही तुम कर सकते हो क्योंकि हमेशा तुमने यही किया है
तुम्हारे जिगरे में दम नहीं है कि तुम्हारी बन्दूक की नली जिन्ना और लियाकत की ओर घूम जाए,
तुम कायर जीवन भर अपने ही लोगों पर भारी पड़ते हो,
तुम चाहते हो शिव लास्य नृत्य करें, तुम चाहते हो ब्रम्हा तांडव करें, मगर तुम अपना कार्य कभी नहीं करना चाहते सिवाय आरोप प्रत्यारोप के,
तुम्हें कल भी गांधी ही मारने को मिले थे
आगे भी तुम गांधी को ही मारोगे और वही सत्यानाश करोगे जो गोडसे ने किया।
कमाल कि बात है मुस्लिम लीग कल भी सुरक्षित थी उसे छूने का तुम्हारे अंदर दम कल भी नहीं था और आज भी नहीं है।
तुम चाहते हो सब तुम्हारी तरह बातें करें, तुम चाहते हो सभी नदियाँ एक जैसी हों..!
इधर हिंदुओं के बीच रहकर मौलाना अबुल कलाम आज़ाद मुसलमानों को सुरक्षा कवच दे रहा जिसका पूरा फायदा जिन्ना ने उठाया लेकिन गांधी के कवर का फायदा तुम कभी नहीं उठा पाए उल्टे गांधी पर चढ़ बैठे,
मुसलमानों ने दोनों किरदार अच्छे से निभाये मगर तुम एक गाँधी के अपोजिट किरदार निभाने में असफल रहे जिसका खामियाजा हमें आगे भी भुगतना पड़ेगा।
तुम चाहते हो मोहन भागवत तुम्हारे जैसा बोले, मोदी तुम्हारे जैसे बोले तुम खुद दूसरा विकल्प न कल बन पाए थे और न आज बन पाओगे..,
क्योंकि तुम एक कायर, आलसी, मंदबुद्धि कौम हो, तुम्हें आदत हो गयी इसकी।
अरे मोहनभागवत के एजेंडे में नहीं है तो तुम अपने एजेंडे में रखो न ..!!! कब तक उंगली पकड़ कर चलोगे..!
संगठन का चेहरा होता है मगर भीड़ का चेहरा नहीं होता है इसलिए भीड़ बनकर सब करो, अनेकों अनेक खड़े हो जाओ..मगर नहीं तुम्हें तो इनके ही मुँह से कहलवाना है।
तुम्हें किरदार निभाना कभी नही आया
आज भी मुसलमान अपने दोनों किरदार अर्थात मौलाना अबुल कलाम आजाद और जिन्ना दोनों का बेहतर तरीके से निभा रहें हैं पर तुम जिस बात के लिए आपस में ही 1947 में उलझे थे उसी के लिए आज भी उलझे हो।
तुम्हारी प्रवृति में तनिक भी बदलाव नहीं आया है
!
तुम एक नष्ट होने वाली कौम हो और अच्छा है नष्ट ही हो जाओ क्योंकि ईश्वर भी तुम्हारी मूर्खता से ऊब गया है। तुम्हारी बात को पकड़कर उलझने की प्रवृत्ति न जाने कब जाएगी….न जाने कब तुन्हें सिर्फ लक्ष्य दिखेगा..?
तुम न जाने कब प्रति गांधी(प्रचंड हिंसक)बनकर गांधी को पूरा करोगे , मुसलमान तो हमेशा अबुल कलाम आजाद को जिन्ना बनकर पूरा कर रहें हैं।
शीघ्र ही ईश्वर तुमपर से अपने दया का साया हटा देगा.!

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