छोटे मौसेरे भाई की शादी
कल भाई (मौसी के लड़के) की बारात जानी है… लेकिन मेरा दिल!!
जोरों से धड़क रहा है..
अब आप सोच रहे होंगे क्यूं!!
इसलिए कि…कल के विवाह में मेरा नाम भसुर (जेठ) के पद लिए उछला जा रहा है।
मित्रों! यह एक जोखिमपूर्ण पद, कार्य तथा कदम है… इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में इतनी गारी सुनने तथा सहने को मिलती हैं कि पूछिए मत! सच कहूं तो उससे बेहतर है अपने जिस्म में एक साबुत कारतूस को चुपचाप सह लेना।
अब मेरी व्यक्तिगत व्यथा सुनें!
मेरा तीव्र गंजापन अपने उच्चतम शिखर पर पहुंचने से सिर्फ आठ दस कदम दूर है… खोपड़ी से प्रकाश का जो परावर्तन हो रहा है वो अब
मृग मरीचिका जैसा आभासी चित्र खींच रहा है। इधर अग्रिम पंक्ति के शहीद होने के बाद जो बचे हुए सैनिक हैं वो अपने अलग ही गुमान में हैं.. हांलांकि उनसे उखड़ने का कुछ भी नहीं लेकिन वो जीवित और उपस्थित हैं….इसलिए उनको भी मैं पिछले पांच वर्षों से… पूरे बेमन से सुन और देख रहा हूं।
मित्रों! जब गंजे व्यक्ति के किनारे के बाल बढ़ जाते हैं तो ऐसा लगता है मानों किसी सूखी नदी के अगल-बगल लम्बी-लम्बी घास उगी हो। वास्तव में यह दृश्य विचित्र और भयावह होता है…. लोग सूखी नदी से नजर हटाकर बेनूर घास पर नजर उठाकर उसी रफ़्तार से वापस लौट जाते हैं।
आज विद्यालय से लौटकर… सबसे पहले बाल कटवाया.. गार्नियर का ब्लैक नेचुरल खरीदा… चुपके तथा बड़े भाई के सहयोग से अपने दस प्रतिशत परिक्षेत्र पर रंगरोगन करवाया। अब आप पूछेंगे कि जब आप ऐसी त्रासदी से गुजर रहें हैं तो इतने श्रृंगार तथा खुद को इतना परेशान करने की जरुरत क्या थी???
तो सुनिए!
वैवाहिक कार्यक्रम में भसुर के ताग-पात का कार्यक्रम, सबसे पहले होता है…. ऐसे समझिए! कि किसी भूखे आदमी के सामने खाने से पहले पापड़ परोस दिया जाये… भूखा और लार से लिथड़ा आदमी, पापड़ के जिस्म पर जो तथा जैसे प्रहार करता है वो किसी से छुपा नहीं….
मित्रों! विवाह में जो महिलाएं एक महीने से गारी गाने/देने का प्रशिक्षण लेकर बैठी हों वो मेरे जैसे गंजे तथा अधपके बाल वाले को पा जायेंगी तो उनकी जैसे बांछे खिल जायेंगी! आप यूं समझिए कि भूखे के सामने मुर्गे की टांग परोस दी जाये।
अब रंगरोगन द्वारा जो भी छद्म प्रयास मैंने किया….. वो मेरी दृष्टि और प्रयास में अन्तिम है। लेकिन जो सच्चाई है वो ऐसी जैसे सियार ने अपने बदन पर शेर जैसे भयावह दिखने की चित्रकारी की हो..
ईश्वर मेरी रक्षा करें