जानते हैं यह कहाँ का दृश्य है?

यह चित्र संसार के सबसे बड़े हिंदू मंदिर का है, कंबुज स्थित अंकुरवट का जिसे हम ‘कंबोडिया’ कहते हैं।

ख्मेर साम्राज्य के पतन के पश्चात ये मंदिर सभ्यता की नजरों से ओझल हो गए।

फ्रांसीसियों की गुलामी से आजादी के बाद भी इनकी दुर्दशा जारी रही क्योंकि पोलपोट के खूंख्वार शासन और सत्ता संघर्ष में यह मंदिर युद्धक्षेत्र बन गया और इसे बहुत हानि हुई।

बहरहाल जब इनके पुनुरद्धार के प्रयास हुये तो प्रश्न खड़ा हुआ कि इनकी दीवारों में पैबस्त पीपल व बरगद जैसे महावृक्षों को कैसे हटाया जाये क्योंकि इंजीनियरों ने साफ बता दिया कि अगर उन्हें हटाने की कोशिश की गई तो जड़ों के साथ मंदिर भी धराशाई हो जाएगा।

इसलिये उनको बने रहने देकर ही जीर्णोद्धार किया गया।

वर्तमान में भारत की स्थिति भी अंकुर वट मंदिर की सी ही है जिसमें कॉंग्रेस सहित अन्य दलों के भ्रष्ट राजनैतिक नेताओं, अधिकांश मीडिया हाउसेज, भ्रष्ट ब्यूरोक्रेट्स के साथ-साथ न्यायपालिका के भ्रष्ट तत्वों ने अपनी जड़ें जमाई हुई हैं।

ऐसे में अगर मोदी इन जड़ों को एकदम उखाड़ने का प्रयास करते हैं तो हमारे राष्ट्र के ढहने का खतरा तो पैदा हो ही जाएगा साथ ही जिस मंच पर चढ़कर मोदी भारत का जीर्णोद्धार कर रहे हैं वह मंच अर्थात भाजपा भी ढह जाएगी क्योंकि भाजपा में भी हर नेता योगी-मोदी नहीं है।

आपको क्या लगता है कॉंग्रेस, शिवसेना, न्यायपालिका व प्रेस से भाजपाई नेताओं की मिलीभगत नहीं हैं? उनसे इनके भी गहरे स्वार्थ जुड़े हैं।

तो फिर इन देशद्रोही तत्वों पर कार्यवाही होगी कैसे?

देशद्रोह कौन तय करेगा?
आप मैं मोदी या मी लोड?

कोलोजियम सिस्टम की नाजायज औलादें तो तैयार बैठी हैं मोदी को ऐसे किसी कदम पर फटकार लगाने को।

जो तंत्र अंग्रेज देकर गये उसी के साथ पटेल को एडजस्ट करके व समझौते करके काम निकालना पड़ा। अगर वे भी मारामारी में लग जाते तो देश 576 टुकड़ों में बंटा होता।

कांग्रेस पोषित इस भ्रष्ट तंत्र में से सेना व इंटेलिजेंस को साफ करना सबसे ज्यादा जरूरी था जिसे करना अपेक्षाकृत आसान था क्योंकि वहाँ चीजें गोपनीय स्तर पर हो जाती हैं लेकिन राजनैतिक तंत्र, प्रेस व न्यायपालिका पर खुलेआम प्रहार नहीं हो सकता और उनसे उसी तरीके से निबटा जा सकता है जिस तरीके से उसका निर्माण हुआ है।

कांग्रेसी इकोसिस्टम कांग्रेस ने बनाया जरूर था पर उसकी शाखाएं प्रत्येक दल, प्रेस, न्यायपालिका के साथ भाजपा में भी घुसी हुई है।

तो फिर प्रश्न वही उठता है कि समाधान क्या है? क्या इन राष्ट्रविनाशी विषैली जड़ों को झेलते रहें??

नहीं!

उपाय है और उसके दो चरण हैं-

चूँकि कोई भी भ्रष्ट तंत्र सत्ता और उसके दुरुपयोग से प्राप्त धन पर पर पलता है अतः उनके इसी मूल पर वार हो।

जड़ों को भ्रष्ट सत्ता द्वारा अर्थ का पोषण मिलना बंद हो तो यह विषैले पेड़ स्वतः मर जायेंगे।

मोदी यही काम कर रहे हैं- इनका वित्त पोषण बंद करके और इसीलिये ये तिलमिला रहे हैं।

दूसरा काम हमारे हिस्से का है और वह है इस भ्रष्ट तंत्र को सत्ता से बाहर रखना तथा मोदी, योगी को निरंतर सत्ता में बनाये रखना।

लेकिन जिस देश में योगी जैसे शासक की भी जातिवाद के कारण सत्ता में वापसी में संशय सा उत्पन्न होता हो तो वहाँ गलती किसकी है?

मोदी योगी तो अपने हिस्से का कर्म पूर्ण निष्ठा से कर रहे हैं पर क्या आप करना तो दूर उन्हें समझ भी पा रहे हैं?

सत्य प्रकाश सिंह जी के शब्दों में हमारे द्वारा हिंदुत्ववादियों को राजनैतिक सत्ता और निरंतर सत्ता ही हिंदुओं को बचा सकती है।

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