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ट्रैफिक सिग्नल में प्रति लेन

रिवेश प्रताप सिंह

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ट्रैफिक सिग्नल में प्रति लेन, एक मिनट की प्रतीक्षा की दर से प्रत्येक वाहन चालक को तीन मिनट प्रतीक्षा करनी होती है। अब मसला कुछ यूं है कि कुछ गंजे चौराहों पर अनावश्यक प्रति लेन एक मिनट दिया जा रहा है। पता चल रहा है कि कुल आठ सेकेंड में लेन खाली!! अगले बावन सेकेंड जी करता है कि गाड़ी वहीं खड़ा करके बावन सेकेंड में देश के सम्मान में जन गण मन…करके भारत माता की जयकार कर लें।

 

इधर कुछ घने तथा व्यस्त चौराहों का गणित, पता नहीं कौन से गणितज्ञ सेट कर रहें हैं कि प्रति लेन बस 30 सेकेंड का मामूली समय दिया जा रहा है। आप मानेंगे नहीं…एक ही सिग्नल पर तीन बार खिसकने के बाद भी जेब्रा क्रासिंग तक पहुंचते ही लाल बहादुर जी जल जा रहें हैं। आप इसे यूं समझिए कि रोडवेज बस ने अपनी बस यात्रियों के लघुशंका हेतु किनारे लगा दी। आप उछल कर बस से कूदे। क्योंकि आप भी टंकी फुल किये घंटों से खिड़की के बाहर झांककर दिल बहला रहे थे।

 

 

लेकिन दुर्भाग्य देखिए… बस से उतरते ही आप एकान्त की तरफ मुंह फेरकर मूत्र विसर्जन की धाराप्रवाह प्रक्रिया का हिस्सा बने ही थे कि बस ने चलने के संकेत हेतु हार्न बजा दिया‌ पो-पों!!! निश्चय ही आप पर दबाव बनेगा और निश्चित ही आप अपने उदर से दबाव बनाकर धार की गति को तीव्रतम करने का प्रयास करेंगे। अब आप मूल कार्य को आटो मोड पर लगाकर बस के बेवफाई पर टिका देंगे। मतलब आपकी नजर धार से हटकर बस पर टिक जायेगी…अब बस ड्राइवर ने गाड़ी को गियर में डालकर एक्सलेटर ले लिया..अब आप भी एक्सलेटर पर एक्सलेटर लिये जा रहें हैं लेकिन मामला अभी भी साठ- चालीस का है। दरअसल आप बीच धारा में वहां हैं जहां से लौटना नामुमकिन है…अब आप न चाहते हुए भी चिल्ला पड़ेंगे। लेकिन आप इतने भी पुरुषार्थी नहीं की ध्वनि तथा द्रव दोनों में अपनी रफ़्तार का सिक्का उछाल लें।

 

मित्रों! कुछ ऐसी ही बेबसी से जूझकर लिख डाला। यार! जब लघुशंका के लिए बस रोक ही दिया है तो तसल्ली से उतर तो जाने दो… ऐसा न करो कि एक ही यूनिट को उतारने के लिए चार बार ब्रेक मारना पड़े।

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