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डीसी कॉमिक्स की “जेएलए

by आनंद कुमार
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डीसी कॉमिक्स की “जेएलए – द नेल” तीन भागों की एक कॉमिक्स श्रृंखला थी जो 1998 में आई थी। इस कॉमिक्स की शुरुआत ही “फॉर वांट ऑफ़ अ नेल द शू वाज लॉस्ट” वाली कविता से होती है। ये एक प्रसिद्ध लोककथा सी है जिसमें मोटे तौर पर कहा जा रहा होता है कि कील की वजह से घोड़े की नाल टूटी, नाल की वजह से घोड़ा लंगड़ा हुआ, घोड़े की वजह से सवार और सवार की कमी से युद्ध हारा गया। इस तरह एक कील की वजह से पूरा राज्य गया! लोगों ने कविता सुनी तो जरूर होती है, लेकिन सुनने और समझने में उतना ही अंतर है जितना ये बताने में कि क्लच छोड़ने से गाड़ी आगे बढ़ने लगती है और सचमुच गियर बदलकर सड़क पर गाड़ी चलाने में।
जिन्हें युद्धों का अभ्यास नहीं है उन्हें ये “फॉर वांट ऑफ़ अ नेल द शू वाज लॉस्ट” कैसे समझ नहीं आती इसे समझना है तो हिन्दुओं को देखिये। उन्हें पता है कि 1929 तक के दौर में क्वेट्टा में विजयदशमी होती थी। मुश्किल से एक-दो दशकों में ही ये बंद हो गयी होगी। बिलकुल उसी तरीके से त्योहारों को मनाये जाने के तरीकों को बदलने पर दबाव डालना जारी रहता है। सरकारी तंत्र और जबरन भाजपा नेता डॉ हर्षवर्धन जैसे लोगों के थोपे हुए कानूनों के जरिये पटाखे फोड़ने वालों को जेलों में फेंका जाता है। नहीं मानने पर हिंसा होती है। जैसी की बांग्लादेश या पश्चिम बंगाल में नवरात्रि मनाने वालों के साथ हो रही दिखी। इसके फ़ौरन विरोध के बदले आप चुप रहते हैं, क्योंकि आपको लगता है कि एक कुप्रथा ही तो है जिसे हटाना है!
असल में सबको पता है कि पटाखों से कहीं ज्यादा प्रदुषण तो पराली जलाने से होता है। उस समय गिरफ़्तारी के ये नियम, डॉ हर्षवर्धन या केजरीवाल जैसे ने ताओं के कौन से अंग विशेष में घुस जाते हैं? इसका ठीक उल्टा कर लीजिये तो कुछ समुदाय विशेष ऐसे होते हैं जिन्हें हमले करने का अभ्यास होता है और उन्हें सिर्फ पता नहीं होता कि क्लच छोड़ने से गाड़ी आगे बढ़ेगी, उन्होंने सचमुच गाड़ी चलाई होती है। इन्हें अच्छी तरह पता है कि एक कील के न होने से युद्ध कैसे हारा जा सकता है। इसलिए इन्हें जब आप देखेंगे तो आपको फ़ौरन दिखेगा कि एक मामूली से तीन तलाक, जिसे वो खुद ही गैरकानूनी बताता है, उसके लिए भी अगर कानून बने तो वो कैसे सड़कों पर विरोध में उतर आता है।
बिलकुल यही आपको तब दिखेगा जब आर्यन खान जैसा कोई गिरफ्तार हो जाता है। आप कह सकते हैं कि एक अमीर बाप की बिगड़ी औलाद अगर नशे के साथ गिरफ्तार हुई ही तो कौन सी बड़ी बात हो गयी? ऐसी घटनाएँ तो होती रहती हैं। नशे का बॉलीवुड उर्फ़ उर्दुवुड से तो पुराना नाता है। बड़े लोगों की नामी गिरामी औलाद अक्सर ऐसे मामलों में गिरफ्तार होती रही है। उनके लिए ये बिलकुल कील की वजह से राज्य जाने वाला मामला है। इसलिए पूरी ताकत के साथ उनका प्रचार तंत्र इसके विरोध में उतर आया है। जो लिख सकते थे, उन्होंने लिखा, जो बोल सकते थे वो बोले, जो ट्वीट कर सकते थे उन्होंने ट्वीट पर ट्वीट दागे। नेता-मंत्री, वकील सब समर्थन में उतर आये।
इन बातों के बीच आपने सोचा है कि वो पकड़ा किन चीज़ों के साथ गया है? प्रचार तंत्र आपको अब तक बता चुका होगा कि उसके पास तो चरस था जी! चरस तो मामूली सा नशा है जी! आजकल किसने चरस नहीं चक्खा जी! वहां से एमडीएमए भी बरामद हुआ है, इसकी भी बात करते हैं। एमडीएमए को अक्सर मोल्ली या एक्सटेसी के नाम से जाना जाता है। एक्सटेसी के इस्तेमाल से नजदीकियां बढ़ाने, यौन सम्बन्ध बनाने जैसी भावनाएं उबाल मारने लगती हैं। इसका इस्तेमाल अक्सर ग्रुप सेक्स में भी होता है। कुछ पुरुषों के साथ सिर्फ एक-दो लड़कियां और एक्सटेसी जैसे नशीले पदार्थ पकड़े जाएँ, तो आपको पता है कि हम किस स्तर की अनैतिकता की बात कर रहे हैं।
सेलिब्रिटीज का इस्तेमाल बाजार अपने उत्पाद बेचने में लम्बे समय से करता आया है। चाहे वो कोका-कोला और पेप्सी के प्रचारों की जंग हो, या फिर विमल और जबां केसरी जैसे गुटखे का प्रचार आपने इसे अच्छी तरह देख रखा है। विलासिता की जीवनशैली, महंगे क्रुज शिप, फ़िल्मी सितारों के बच्चे और एक्सटेसी जैसे ड्रग्स का एक साथ होना क्या था ये आपको पता नहीं ऐसा तो बिलकुल नहीं है। अपनी अगली पीढ़ी के लिए आप क्या इंतजाम कर रहे हैं, ये आप खुद भी जानते हैं।
बाकी इसके बाद भी अगर आप इसका समर्थन करने, किसी बड़े आदमी के बेटे को बचाने पर ही तुले हैं, तो आपकी मर्जी है। बस ये याद रखियेगा कि आपके इस अपराध का दंड आपके ही बच्चों को भुगतना होगा! कील की वजह से राज्य तो जायेगा।

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