Home विषयइतिहास नालंदा के दो विध्वंसक
जानते हैं नालंदा का विध्वंस कितनी बार हुआ?
दो बार!
एक बार मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी के हाथों जब उसने बीस हजार बौद्ध भिक्षुओं को एक दिन में काट डाला और सात दिन तक तीन लाख पुस्तकों से अलाव तापा और पानी गर्म किया।
दरअसल खिलजी कुछ अलग नहीं कर रहा था बल्कि वह तो अपने महान खलीफा उमर बिन खिताब का ही अनुसरण कर रहा था जिसने अलैग्जेंड्रिया के महान पुस्तकालय में आग लगवा दी।
परंतु नालंदा की आग शांत नहीं हुई।
दूसरी बार उसे जलाया बिहार के ही हिंदू नामधारी एक कुख्यात बौद्धिक व्यभिचारी ने जिसे लोग इतिहासकार द्विजेन्द्र नारायण झा उर्फ #डी_एन_झा के नाम से जानते हैं।
मुस्लिम इतिहासकारों के लिखे को ब्रह्मवाक्य मानने वाले इस व्यक्ति ने बख्तियार खिलजी के ही समकालीन मिन्हाज उस सिराज की ‘तबकात ए नासिरी’ के प्रमाण को एक तरफ कर घटना के सदियों बाद लिखी गई एक तिब्बती गप्प के आधार पर ब्राह्मणों द्वारा तंत्रमंत्र से नालंदा के विध्वंस की गप्प लिखकर इतिहास का बलात्कार किया और नालंदा की आत्मा को भी जला डाला।
जब तक ऐसे व्यक्ति अकादमिक संस्थाओं विशेषतः इतिहास लेखन परिषदों में बैठे हैं, न तो भारत के गौरव की स्थापना हो पाएगी और न नई पीढ़ी उन मु स्लिम खलनायकों को पहचान पाएगी जिन्होंने पुस्तकें जलाकर पूर्वी भारत से बौद्ध धर्म का सफाया ही नहीं किया बल्कि मानवता के विरुद्ध घोर अपराध किया।
विडंबना देखिये कि बिहार की अस्मिता पर बात-बात पर उबल पड़ने वाले बिहारियों में उसी ‘बख्तियार खिलजी’ के नाम पर बख्तियार पुर जंक्शन रेलवे स्टेशन को देखकर भी गैरत नहीं जागती।

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