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न्यूज चैनलों की डिबेट

सतीश चंद्र मिश्रा

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गुंडों लफ़ंगों को परिश्रमी, प्रतिभाशाली योग्य छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ मत करने दीजिए। इन गुंडों लफ़ंगों और उनके आकाओं के खिलाफ आवाज़ उठाते रहिए।
न्यूजचैनलों की डिबेट में आप लोगों ने देखा होगा कि एकाध नहीं बल्कि मोदी विरोधी पार्टियों के शतप्रतिशत नेताओं प्रवक्ताओं के झूठ फरेब पर जब कोई एंकर या पत्रकार उन्हें टोकता या रोकता है तो वो नेता/प्रवक्ता अपनी बात के पक्ष या समर्थन में कोई तथ्य या तर्क देने के बजाए जोर जोर से चीखने चिल्लाने लगता है कि सरकार की दलाली मत करो… मोदी के दलाल मत बनो…. आदि आदि। कुछ वही कुकर्म सोशलमीडिया पर भी शुरू हुआ है। कल RRB के रिजल्ट के खिलाफ राजनीतिक दलों द्वारा प्रायोजित पेशेवर गुंडों दंगाइयों द्वारा की गई हिंसा खूनखराबे के नंगे नाच के खिलाफ मेरी पोस्ट पर भी ऐसे ही कुतर्कों के साथ मूर्खों की टोली टूट पड़ी। क्योंकि मैं सारे कमेंट पढ़ता हूं और पोस्ट के विरुद्ध कमेंट करने वालों की प्रोफाइल जरूर चेक करता हूं इसलिए कल भी की। नतीजा वही निकला जो हमेशा निकलता है।
पोस्ट का विरोध करने वाले 99% लोगोँ की प्रोफाइल लॉक्ड थी। पारिवारिक व्यक्तिगत प्रोफाइल्स लॉक्ड हों तो कारण समझ में आता है। लेकिन घूम घूमकर आर्थिक राजनीतिक समाजिक मुद्दों वाली पोस्टों पर टिप्पणियां करने वालों की लॉक्ड प्रोफाइल बता देती है कि ये धूर्त किस प्रजाति का है।
सोशलमीडिया पर तैनात किए गए गुंडों की पहचान का यह सबसे सरल सटीक तरीका है। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए परिश्रम कर रहा कोई भी मेधावी छात्र नौजवान अपनी पहचान नहीं छुपाता है। यह कुकर्म वही करता है, जो सोशलमीडिया में लॉक्ड प्रोफ़ाइल की नकाब पहनकर कुछ और गोरखधंधा करने में जुटा हो। इस पहचान की पुष्टि दूसरे तथ्य से तब हो जाती है जब वो विषय से मुंह चुरा कर गदहों की तरह यह राग अलापते हैं कि… सरकार की दलाली मत करो… मोदी के दलाल मत बनो…. मोदी भक्ति मत करो।
RRB के रिजल्ट को लेकर फैलाए गए झूठ और उछाले गए सारे सवालों के उत्तर रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कल रात ही सारे तथ्यों के साथ जितने विस्तार से दिए उसके बाद पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि RRB रिजल्ट के खिलाफ गुंडों लफ़ंगों की हिंसा और खूनखराबे की घटना एक सोची समझी साजिश ही थी।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव की केवल 11 मिनट की उस वार्ता का लिंक पहले कमेंट में दे रहा हूं। ध्यान से सुनिए, दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
अंत में एक सवाल का उत्तर मैं भी देना चाहूंगा। एक ही छात्र का रोल नंबर 4-5 बार क्यों,.? का उत्तर रेलमंत्री ने दिया है कि 6 श्रेणियों के लिए हुई परीक्षा में यदि कोई छात्र 4-5 या सभी 6 श्रेणियों की परीक्षा पास कर लेता है तो उसे हम कैसे रोक सकते हैं,?
रेलमंत्री के उपरोक्त उत्तर के आगे की बात भी आप समझिए। किसी छात्र ने भले ही सभी 6 श्रेणियों की परीक्षा पास कर ली हो लेकिन नौकरी तो वो किसी एक श्रेणी की ही कर पाएगा। शेष 5 श्रेणियों की नौकरी, एक वैकेंसी से 20 गुना अधिक संख्या में चुने गए पात्र छात्रों में से मेरिट के आधार किन्हीं 5 अन्य छात्रों को मिल ही जाएगी। हालांकि अभी द्वितीय चरण की अंतिम परीक्षा के बाद यह स्थिति भी काफी हद तक स्वतः समाप्त हो जाएगी। लेकिन पत्थरबाजी आगजनी हिंसा खूनखराबे नंगई पर उतारू गुंडों लफ़ंगों को तब भी कोई नौकरी नहीं मिलेगी। यह भी स्पष्ट है कि यदि दो के बजाए एक ही चरण की परीक्षा हुईं होती तो भी इन पत्थरबाज गुंडों को तो नौकरी नहीं ही मिलती।
इन गुंडों की दूसरी शिकायत यह है कि अयोग्य और कम पढ़े लिखे लौंडों के बजाए योग्य और ज्यादा शिक्षित, प्रतिभाशाली छात्र क्यों चुने गए हैं। इस आग को भड़काने वाला “खान सर” भी कल NDTV में एक्सपर्ट बनकर बैठा था। उसकी 7 मिनट की बात का सार भी यही था कि कम पढ़े लिखे लौंडों के बजाए उच्च शिक्षित छात्र क्यों चुन लिए गए। उसकी वार्ता का लिंक भी दूसरे कमेंट में दे रहा हूं।
अतः इन पत्थरबाज गुंडों लफ़ंगों का जमकर विरोध करिए। परिश्रमी, प्रतिभाशाली योग्य छात्रों के भविष्य के साथ हिंसा आगजनी दंगे का खूनी खेल खेल रहे इन गुंडों लफ़ंगों और उनके राजनीतिक आकाओं को बेनकाब करिए।

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