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पाकिस्तान मूल के ख्यात लेखक तारेक फ़तेह और उनकी बेबाकी

अवनीश पी एन शर्मा

by Awanish P. N. Sharma
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पाकिस्तान मूल के कनाडाई पत्रकार और प्रख्यात लेखक तारेक फ़तेह अपनी बेबाकी के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते है. पाकिस्तान की गलत नीतियों और आतंकवाद के खिलाफ वह खुल कर बोलते है. खुद को हिंदुस्तानी बताने वाले तारेक फतह का मानना है कि हम सब सिंधु घाटी की सभ्यता के लोग है और इंडस वैली में रहने वाला हर आदमी हिन्दू है. उनका साफ़ कहना है कि हम सब पहले हिन्दू है उसके बाद कुछ और. हिन्दू हमारी मूल संस्कृति है.
भारत के वर्तमान हालात पर वह लगातार लिख और बोल रहे है. इस विषय पर उनकी कई पुस्तके भी आ चुकी है. वह वर्तमान भारत सरकार की नीतियों के समर्थक है और कई बार खुद को भारतीय नागरिक बनाने की बात भी कह चुके है.
तारेक फ़तेह से #अवनीश पी एन शर्मा ने लंबी बातचीत की है. प्रस्तुत है उसी बातचीत के प्रमुख अंश –
प्रश्न – भारत के सामने इस समय कैसी चुनौतियां है?
तारेक – देखिये भारत के सामने इस वक्त की सबसे बड़ी चुनौती है आपके पीएम साहेब को समझने की. उनके काम और फैसलों के आगे पीछे की नीयत, उसके माकूल और वाजिब लहजे में समझने की. एक स्टैब्लिश हो चुके ग्लोबल लीडर को मुझे लगता है दुनिया बड़े कायदे और सलीके से समझ रही है साहेब, इण्डिया में मौजूद बिलावजह की मुखालफत के मजबूर लोगों को बस इसी चुनौती से पार पाना है, अपने वज़ीरेआज़म को समझ लेने का काम कर लेना है.
प्रश्न – भारत की राजनीतिक स्थिति को आप किस रूप में देखते है?
तारेक – भारत अब दुनिया की राजनीति को डील करने की पोज़िशन की तरफ लगभग पहुँच रहा है. रही बात घरेलू फ्रंट पर इस मामले की, तो आपके मुल्क का अपोज़िशन खुद को कटघरे में खड़ा कर चुका है और लगातार करता जा रहा है.
प्रश्न – मोदी सरकार की नोट बंदी का भारत की सामाजार्थिक दशा पर क्या असर पड़ने वाला है?
तारेक – देखो जी, ये नोट का बैन आपकी इकोनामी को साफ़ सुथरा करने वाला फैसला है. क्या आपको अंदाजा है कि इस एक फैसले से आपने क्या क्या किया है और वो भी एक झटके में?
आपने दाऊद इब्राहिम और उसकी इकॉनोमिक सल्तनत को बर्बाद किया है. आपने आईएसआई के फेक करेंसी के धंधे को नेस्तोनाबूद किया है, जिसकी बदौलत वे आपके मुल्क के दहशतगर्द तंजीमों को रोजगार देते रहे हैं. आपने हवाला के जरिये गैरकानूनी फंडिंग को खत्म किया है. अब बराय मेहरबानी ज़रा मुझे ये बताएं कि ये सब करने वाला और एक झटके में करने वाला फैसला किस तरह आपकी सोसाइटी को साफ़ सुथरा रखने वाला होगा. आपकी सोसाइटी अगर डरी न हो, दहशत का माहौल न हो तो ये सब इकोनामी हैसियत में इजाफे के बायस बनेंगे और आपके बाजारों से लेकर हर घर में पैसों की मजबूती लाना ही इसका अंजाम होगा.
प्रश्न – भारत सरकार से आप और क्या अपेक्षाएं रखते है ?
तारेक – आज जैसे चल पड़े हैं वैसे ही आगे बढ़ते रहें. बाकी मेरी कोई ज़ाती उम्मीद नहीं है आपके हालिया निज़ाम से.
प्रश्न – बलूचिस्तान पर भारत की नीति के क्या परिणाम आने वाले है?
तारेक – साहेब! क्या आपको इल्म है कि आपने बलूचियों को एक वालिद दिया है हिंदुस्तान के तौर पर. आपके मिस्टर नेहरू और अबुल कलाम आज़ाद ने जिसे न दिया वो अब जाके दिया है आपने.
प्रश्न – भारत को अपने में और क्या सुधार करने चाहिये?
तारेक – अपनी कौम को खुद पर नाज़ और फक्र करना सिखाइये. खुद को पहचानने की कूबत पैदा करने के इंतज़ामात करिये. पाठ्यक्रमो को दुरुस्त कीजिये. बाबर को हीरो बनाकर इतिहास पढ़ाना बंद कीजिये.
प्रश्न – भारत में मुस्लिम समाज की अब प्राथमिकता क्या होनी चाहिए जिससे उनका वास्तविक विकास हो सके ?
तारेक – हिंदुस्तान का मुसलमान खुद को अरब से अलग कर ले उसकी सारी दिक्कतें खत्म हो जाएंगी. इससे बेहतर कोई मुल्क उनके लिए नहीं है इसे समझें हिंदुस्तान के मुसलमान. दिक्कत यही है कि भारत के मुसलमानो को यही समझ में नहीं आता और जो समझना चाहता है उसे उनके लीडर समझने नहीं देते.
प्रश्न – क्या आपको लगता है कि हिंदुस्तान की शिक्षा नीति में एक बड़े बदलाव की आवश्यकता है?
तारेक – देखिये साहेब, पाकिस्तान ने अपने यहां ज़ियाउल हक के टाइम में एजुकेशन को मौलानाओं के हाथों में सौंप दिया, 80 के दशक से लेकर आज के पाकिस्तान के यूथ को देखिये वो कहाँ है? आपके यहां 26/11, पठानकोट और उड़ी कर रहे हैं.
आपको खुद को इन हालात की तरफ न जाने दें. मैकाले से दूर होने का काम करिये अपनी पुरानी जड़ों और फलसफों की तरफ वापस जाइये. नालंदा, तक्षशिला है साहेब आपके पास, उसे क्यों भुला रखा है आपने?
हिंदुस्तान को अगर अपने बच्चों के मुस्तकबिल को कामयाब बनाना है तो अपने गुजरे वक्त की तरफ देखिये और वहां से खजाने लाके अपने बच्चों को दीजिये.
प्रश्न – आईएसआईएस के बारे में आप क्या सोचते हैं? भारत पर इसके प्रभाव के कारण?
तारेक – देखिए, भारत में नेहरू और गांधी को बंटवारे का ज़िम्मेदार बता कर उनकी आलोचना की जाती है, जबकि जिन्ना जैसे पीडोफाइल (बच्चों से सेक्स का आदी) से प्यार किया जाता है.
आईएसआईएस की मानसिकता भारत में पहले से मौजूद है और कश्मीर से हिन्दुओं का सफाया इसी का नतीजा है.
प्रश्न – आप बहुत सारी विवादास्पद बातें कहते हैं, फिर भी आप ज़िंदा कैसे हैं?
तारेक – जब आप सत्य बोलते हैं तो सुरक्षित रहते हैं और जब आप मरते भी हैं तो इज्ज़त के साथ मरते हैं. वो जानते हैं कि मैं सच कहा रहा हूँ और वे झूठ कहते हैं इस लिए मैं ज़िंदा हूँ.
प्रश्न – भारतीय मीडिया वहाबी इस्लाम को लेकर इतना चुप्पी क्यों साधे हुए है?
तारेक – वो (मीडिया) इसके बारे में जानते ही नहीं हैं. अरुण शौरी की किताब को यहाँ हाथोंहाथ बिकना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है. अमेरिका में यह किताब बहुतों के पास है लेकिन भारत में किसी के पास यह नहीं है.
भारत में राजनीतिक रूप से सक्रिय हर मध्यम वर्गीय परिवार को मदरसों के ढोंग के बारे में जानने के लिए यह किताब पढ़नी चाहिए.
प्रश्न – अजान में ‘काफिर’ शब्द के बारे में क्या कहेंगे?
तारेक – अजान में यह नहीं होता. यह मूलत: एक प्रार्थना है, सुबह बोली जाने वाली. उस लाइन को छोड़कर, जो कहती है कि प्रार्थना सोने से बेहतर है.
लेकिन मेरा सोचना अलग है. शुक्रवार को जुम्मे की नमाज़ से पहले एक लाइन कही जाती है कि ‘अल्लाह हमें काफिरों पर जीत दिला’. मैं दूसरे समुदायों की नज़र में, मुस्लिमों की इज्ज़त बढाने की अपनी कोशिशों के तहत इस लाइन को हटाने के लिए मुहिम चला रहा हूँ.
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह कुरान का हिस्सा है. यह दुनिया भर में हर मस्जिद में दोहराया जाता है और अस्सी फीसदी दुनिया को इसके बारे में कुछ पता नहीं है.
प्रश्न – हाजिया सोफिया के सवाल पर आपकी राय?
तारेक – मुस्लिमों को हाजिया सोफिया को ईसाईयों को लौटा देना होगा. जब तक वो ऐसा नहीं करते तब तक उन्हें इस्लाम को शान्ति का धर्म नहीं कहना चाहिए.
अगर आप ऎसी चीज़ें नहीं कर सकते तो इस्लामोफोबिया में रहें और लोग आपसे नफ़रत करेंगे और आप ऐसा वातावरण बनाएंगे कि आपके बच्चे सडकों पर पिटेंगे.

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