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प्रशान्त किशोर की राजनीतिक कुंडली

by ओम लवानिया
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पीके उर्फ़ प्रशान्त किशोर की राजनीतिक कुंडली में जो तमन्ना बैठी हुई है न! इन्हें स्टेबल नहीं होने दे रही है। दरअसल, उसे स्पेशल ट्रीटमेंट चाहिए। कमांडिंग ओहदा तलाशती फिर रही है। लेकिन अभी तक मिल नहीं पाया है।
पीके ने बड़ी मेहनत से कांग्रेस के लिए मिशन 2024 तैयार किया। अच्छा और डिटेल्ड प्रिजेंटेशन बनाया और चरण दर चरण बैठकों में बतलाया गया। 10 जनपथ में बैठे हुक्मरान को पसन्द भी आया। लेकिन जब इसके इम्प्लीमेंटेशन की बारी आई। तब पीके की तमन्ना ने स्पेशल ट्रीटमेंट मांग कर डाली।
इसे सुनकर वहाँ मौजूद कांगी भड़क उठे और भूरी काकी को बोले हमारे ऊपर हुक्म सिर्फ़ 10 जनपथ का चल सकता है। पैराशूट से आया बंदा हमें हुक्म देगा, तो कतई मंजूर न होगा।
भूरी काकी ने काफ़ी सोच-विचार करके पीके को विशेष महत्व देने से इनकार कर दिया। काकी लगा अभी तारे गर्दिश में है। इन परिस्थितियों में जितने भी हुक्म मान रहे है और हमें मुखिया बनाए हुए है। पहले ही कुछ छोड़कर निकल गए। जो बचे है वे भी उन बाग़ी-23 में शामिल हो गए, सम्राज्य में एल लग जाएंगे। फिर पप्पू-पिंकी का क्या होगा। उन्हें साहब-मेमसाब कौन कहेगा।
काकी ने सुजेवाला को कहा कि जाओ और इतला कर दो। कि कट्टर कांगी के ऊपर सिर्फ और सिर्फ़ 10 जनपथ यानी गांधी परिवार का ही हुक्म चलेगा।
पीके की तमन्ना जो है न! इसने किसी भी दल में जमने न दिया। पहले भाजपा से भगाया, फिर जदयू, उसके बाद खुद की राजनीति पार्टी बनाने की घोषणा हुई। उस दिशा में भी बात न बनी। उसके बाद पश्चिम बंगाल निकले, वहां भी थोड़े दिन रुककर खटपट करवाकर भाग निकले। ऐसे में अब किसे आईडिया बेचा जाए। 10 जनपथ में घुस गए। वहाँ अच्छे से सुना गया। लेकिन बात फाइनल न होने दी। सारे कांग्रेसी एक सुर में बोले, हमारी उम्र और बाल सफेद हो गए, गांधी परिवार की चाटूकारिता में, तुम सीधे घुसे चले आओगे। पप्पू समझा है क्या…..जब तुम्हें 2017 यूपी चुनाव में सीरियस न लिया, तो अब क्या खाक लेंगे।
भले कांग्रेस 50 सालों तक सत्ता से दूर रहे। लेकिन बाहर से आकर कोई हुक्म दे नहीं चलेगा।
पीके से रहा नहीं गया। बोले भूरी काकी कहाँ से है?
सारे कांग्रेसी एक स्वर में बोल पड़े….उन्हें तो लजीव जी लाये थे। जैसे कमपयूटर लाए थे न।
अबे ग….धो वही तो पूछ रहा हूँ। कहाँ से लाए।
फिर एक स्वर में बोल पड़े…. तुम्हें इससे मतलब? अपने काम से काम रखो।
बेचारे पीके राजनीतिक गोले भटक रहे है। कोई रिमोटवा देने को तैयार नाहीं है।

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